Advertisement
  • होम
  • देश-प्रदेश
  • मध्य प्रदेश: सीहोर में भी हुआ था ‘जलियांवाला बाग’ जैसा नरसंहार, 356 क्रांतिकारियों के बलिदान से अभी भी देश है अनजान

मध्य प्रदेश: सीहोर में भी हुआ था ‘जलियांवाला बाग’ जैसा नरसंहार, 356 क्रांतिकारियों के बलिदान से अभी भी देश है अनजान

भोपाल। बैशाखी पर हुए जलियांवाला बाग गोलीकांड के बारे में तो सब जानते है, लेकिन उससे छह दशक पहले 14 जनवरी 1858 को सीहोर के सीवन नदी के तट पर अंग्रेजी फौज का किए गए नरसंहार से आज भी सब अनजान है। हालांकि सीहोर का गजेटियर इसका प्रमाण जरुर देते है, लेकिन किसी किताब में […]

Advertisement
(सीहोर नरसंहार के शहीदों का स्मारक)
  • January 14, 2023 4:53 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

भोपाल। बैशाखी पर हुए जलियांवाला बाग गोलीकांड के बारे में तो सब जानते है, लेकिन उससे छह दशक पहले 14 जनवरी 1858 को सीहोर के सीवन नदी के तट पर अंग्रेजी फौज का किए गए नरसंहार से आज भी सब अनजान है। हालांकि सीहोर का गजेटियर इसका प्रमाण जरुर देते है, लेकिन किसी किताब में अब तक इस गोलीकांड को जगह नहीं मिली है और न ही ब्रिटिश हुकूमत की किसी भी किताब में इसका कोई जिक्र किया गया है। 356 क्रांतिकारियों का बलिदान आज भी यहां के मिट्टी के टीलों में दफन है। स्थानीय लोग आज भी हर साल 14 जनवरी को अमर बलिदानियों को याद करके श्रद्धांजलि देने जाते हैं।

154 वर्ष बाद स्मारक बनाकर फिर भूले

नवाब भोपाल के शासन काल में सीहोर ब्रिटिश सेना का छावनी होती थी। उस वक्त अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ चहुंओर विद्रोह की चिंगारी सुलग रही थी। जनरल ह्यूरोज ने सीहोर में विद्रोह दबाने की कमान संभाली थी और इसी दौरान उसने अपने सैनिकों से सीवन तट पर चांदमारी में 356 क्रांतिकारियों को गोलियों से भुनवा दिया था। इसके साथ ही उनके शव पेड़ों पर टंगवा दिए थे। बता दें कि नरसंहार के 154 वर्ष बाद 2012 तक तो यहां कोई स्मारक भी नहीं बनवाया गया था। बल्कि मिट्टी के टीलेनुमा समाधियां वहीं मौजूद थी। तत्कालीन राज्यसभा सांसद अनिल माधव दवे ने यहां पक्की स्मारकें बनवाईं पर उसके बाद बलिदानियों को फिर से भुला दिया गया।

नवाब के खजाने से रेजिमेंट को जाता था वेतन

इतिहासकारों के अनुसार साल 1818 से सिहोर में अंग्रेजों की रेजिमेंट थी। लेकिन रेजिमेंट के सैनिकों का पूरा वेतन भोपाल नवाब के खजाने से दिया जाता था। 1857 में मेरठ की क्रांति से पहले ही सिहोर में क्रांति की चिराग सुलग गई थी और उस वक्त भोपाल रियासत में अंग्रेजों की सबसे वफादार बेगम सिकंदर जहां का शासन था। बता दें कि, मई 1857 में सैनिकों ने विद्रोह कर सीहोर को आजाद कराकर यहां स्वतंत्र सिपाही बहादुर सरकार की स्थापना कर दी थी।

दिल्ली का अगला मेयर, गुजरात चुनाव और फ्री रेवड़ी, मनीष सिसोदिया ने बताए सारे राज!

India News Manch पर बोले मनोज तिवारी ‘रिंकिया के पापा’ पर डांस करना सबका अधिकार

Advertisement