इंदौर. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेस कर वोटर लिस्ट में बड़ी गड़बड़ी का आरोप लगाया है. नवनियुक्त मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ व अन्य वरिष्ठ नेताओं ने आरोप लगाया कि प्रदेश में करीब 60 लाख फर्जी वोटर हैं. कांग्रेस ने दावा किया है कि प्रदेश में उन्होंने समीक्षा की जिसके बाद उन्हें पता चला है कि प्रदेश में फर्जी वोटर हैं. प्रेस कॉन्फ्रेस कर नेता कमलनाथ ने कि उन्होंने रविवार को ही चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया है.
कांग्रेस नेता कमलनाथ ने बताया कि मध्य प्रदेश में 60 लाख से ज्यादा फर्जी वोटर की सूची है, हमने इस विषय पर जांच करवाई साथ ही 100 से ज्यादा चुनावी क्षेत्र की समीक्षा करवाई. जिसके बाद हमे ज्ञात हुआ कि यहां पर फर्जी वोटर लिस्ट की धांधली हो रही है. उन्होंने कहा कि एमपी में 24 फीसदी प्रदेश की आबादी बढ़ी लेकिन 40 फीसदी मतदाता बढ़ गए. उन्होंने कहा कि ये कोई भूल नहीं बल्कि ये तो जानबूझ कर फर्जी लिस्ट बनाई गई.
प्रेस कॉन्फ्रेस में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि ये सब प्रजातंत्र में छुरा घोपने जैसा है. हमारा सीधा और स्पष्ट आरोप है कि वर्तमान मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान की नीति और सोच विचारधारा के आधार पर पूरा षडयंत्र हुआ है. कई मतदाताओं के नाम, उसी पोलिंग बूथ पर नाम, फोटो सेम पाए गए हैं. वहीं दूसरी तरफ एक ही मतदाता नाम कई पोलिंग बूथ पर मौजूद हैं. हमारे पास सबूत है कि प्रदेश में फर्जी वोटर हैं. कांग्रेस ने कहा कि प्रदेश में 24, 6500 फर्जी मतदाता पाए गए हैं और 91 विधानसभाओं सीट पर हमने समीक्षा कर पाया है कि 27 लाख फर्जी मतदाता हैं. कुल मिलाकर करीब 60 लाख फर्जी वोटर हैं. ये तो सिर्फ मध्य प्रदेश की 40 विधानसभा की सीटों की समीक्षा है. उन्होंने साफ किया कि मध्य प्रदेश के 5 करोड़ मतदाताओं में 12 प्रतिशत मतदाता फर्जी हैं.
इस प्रेस कॉन्फ्रेस में कांग्रेस ने भाजपा पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि ये सब भारतीय जनता पार्टी का करा धरा है. इस बड़ी धांधली पर भाजपा ने कोई कार्रवाई की मांग नहीं की और ना ही कोई सवाल. बता दें मध्य प्रदेश में 230 सीटों पर इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं जहां कांग्रेस ने चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाकर अहम सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने सीधा व स्पष्ट आरोप लगाते हुए कहा कि एक ही व्यक्ति के नाम व फोटो के आधार पर कई फर्जी मतदाता की सूची है.
कांग्रेस ने चुनाव आयोग के सामने रखी पांच मांगें
पहली मांग- जो वोटर लिस्ट आप सुनिश्चित करने वाले हैं, उसे प्रमाणित करें..
दूसरी मांग- हर रिटर्निंग ऑफिसर से सर्टिफिकेट लें कि जो भी ऑफिसर काम करें वो निष्पक्ष किया हो..
तीसरी मांग- जाली सूची की जांच के बिना वर्तमान की सूची (1जनवरी) में फर्जी सूची वाले मतदाता को न जोड़ा जाए. यदि उन्हें जोड़ा हो तो उन पर सेक्शन 32 के तहत कार्रवाई हो.
चौथी मांग– 2018 के 31 जुलाई के बाद अगर फर्जी सूची निकली तो अफसरों पर सेक्शन 32 के तहत कार्रवाई हो.
पांचवी मांग – जिन अफसरों को दोषी पाया गया तो उन्हें 6 या 10 साल तक चुनाव आयोग की ड्यूटी से निलंबित किया जाएं.
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