भोपाल। आगामी मध्यप्रदेश चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस ने अपनी-अपनी तैयारियां आरम्भ कर दी है, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के चुनाव लगभग आगे-पीछे ही होंगे। लेकिन गुजरात में प्रचंड जीत हासिल करने के बाद भी मध्यप्रदेश में भाजपा के सिटिंग विधायकों के मन में डर का महौल बनता हुआ नज़र आ रहा है। आखिर इसका […]
भोपाल। आगामी मध्यप्रदेश चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस ने अपनी-अपनी तैयारियां आरम्भ कर दी है, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के चुनाव लगभग आगे-पीछे ही होंगे। लेकिन गुजरात में प्रचंड जीत हासिल करने के बाद भी मध्यप्रदेश में भाजपा के सिटिंग विधायकों के मन में डर का महौल बनता हुआ नज़र आ रहा है। आखिर इसका क्या कारण है आईए हम आपको इस लेख के माध्यम से बताते हैं।
भाजपा ने नया फॉर्मूला लागू करके गुजरात में ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। तो इससे साफ हो जाता है कि, भाजपा का यह फॉर्मूला काम कर गया है। यही फॉर्मूला अब मध्यप्रदेश में भी लागू हो सकता हैं। बता दें कि, गुजरात में सिटिंग विधायकों के एक बड़े तबके को टिकट नहीं दिया गया था। खेतों में नए बीज बोने के लिए पुरानी और बासी जड़ों को हटाने की आवश्यकता है इस आधार पर पुराने विधायकों को टिकट ने देकर नए उम्मीदवारों पर दांव खेला गया था। इस राजनीतिक फॉर्मूले को भाजपा मध्यप्रदेश में भी खेल सकती है, जिसके चलते सिटिंग विधायकों को यह डर सता रहा है कि, शायद उन्हे भी गुजरात की भांति टिकट नहीं दिया जाएगा।
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने मीडिया से बात करते हुए यह साफ कर दिया है कि, मध्यप्रदेश में भी गुजरात वाला फॉर्मूला ही अपनाया जा सकता है। गुजरात एक आदर्श राज्य बन गया है सात बार जीतने के बाद भी इतना बड़ा वोट शेयर अपने आप में अविश्वसनीय है आजादी के बाद किसी राज्य में ऐसा कारनामा पहली बार हुआ है। उन्होंने कहा कि बंगाल में कम्युनिस्टों ने 34 सालों तक शासन किया लेकिन प्रत्येक चुनाव में उनका वोट प्रतिशत भी घटता रहा लेकिन 1995 के बाद से गुजरात में भाजपा का वोट शेयर 42 से बढ़कर 54 प्रतिशत हो गया है।