देश-प्रदेश

ग्वालियर की सबसे बड़ी गौशाला में हालात बद से बदतर, चार महीने में 1300 गायों की मौत

भोपाल. देश में गायों को बचाने के लिए आए दिन गौरक्षकों के कारनामे सामने आते रहते हैं. पिछले दो तीन साल से लगातार गौरक्षकों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है. कई जगह गाय बचाने के लिए लोगों की जान भी ले ली गई. लेकिन गौशालाओं में लगातार गायों की मौत हो रही है. भाजपा शासित राज्यों में गौरक्षकों के बढ़ते प्रभाव के कारण देश में आवारा जानवरों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ रही है. गायों की खरीद फरोक्त में कमी आने की वजह से लोग बेकार गायों को आवारा छोड़ रहे हैं. इसकी वजह से हालात ये हो गए हैं कि गायों के लिए बने आश्रय स्थलों में जगह नहीं बची. मध्य प्रदेश के ग्वालियर की सबसे बड़ी गौशाला टिपारा में पिछले चार महीनों में करीब 1300 गायों की मौत हो गई. टिपारा गौशाला में गायों की देखभाल व इलाज होता है. लेकिन पिछले कुछ महीनों से इस गौशाला में लगातार बीमार व आवारा गायों की आमद बढ़ रही है. ग्वालियर म्युंसिपल कॉर्पोरेशन (जीएमसी) के अंतर्गत आने वाली यह गौशाला लगातार बढ़ रही गायों को संभालने में नाकाम साबित हो रही है.

न्यूज एक्स के मुताबिक, गौशाला में रोजाना करीब छह से 10 गाय मर रही हैं. गायों की लगातार हो रही मौत पर अधिकारियों के पास कोई ठोस स्पष्टीकरण नहीं है. इनमें से अधिकांश गाय या तो पॉलिथीन खाकर बीमार होती हैं या दुर्घटनाग्रस्त होकर आती हैं. गौशाला कर्मी गायों की देखरेख के बावजूद उन्हें बचा नहीं पा रहे. नगर निगम का मदाखलत अमला शहर में आवारा घूम रही गायों में से करीब 15 से 18 गायों को रोजाना यहां लाता है, इनमें से आधी गाय ही बमुश्किल जीवित रह पाती हैं. गायों की संख्या लगातार बढ़ने की वजह से इन्हें इलाज तो मिल पाता है लेकिन पर्याप्त देखभाल नहीं हो पाती. इसी कारण पिछले 4 महीनों में करीब 13 सौ से ज्यादा गायों की मौत हो चुकी है.

गायों की देखरेख करने वाले बताते हैं कि अनुपयोगी हो चुकी गायों को लोग आवारा छोड़ देते हैं, जिससे वह पालिथिन अथवा प्रदूषित पदार्थ खाकर बीमार हो जाती हैं. इन गायों को बीमारी की हालत में यहां नगर निगम का अमला छोड़ देता है. गौशाला में गायों की देखरेख नगर निगम और स्वयंसेवी लोग उठा रहे हैं बावजूद इसके गायों को वह काल के गाल में समाने से नहीं रोक पा रहे. ग्वालियर के महापौर विवेक नारायण शेजवॉल्कर का कहना है कि पॉलीथिन पर प्रतिबंध है, बावजूद इसके लोग इसे पूरी तरह नहीं छोड़ पा रहे जिससे हमारे गोवंश को नुकसान पहुंच रहा है.

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Aanchal Pandey

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