मध्य प्रदेश: भोपाल गैस त्रासदी की 38वीं बरसीं, सीएम शिवराज प्रार्थना सभा में हुए शामिल

भोपाल गैस त्रासदी: भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हुई गैस त्रासदी की आज 38वीं बरसीं है। इस बीच गैसकांड की बरसी पर भोपाल में आज एक सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। जिसमें राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हुए। किसी भी शहर को भोपाल नहीं बनने देना भोपाल गैस […]

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मध्य प्रदेश: भोपाल गैस त्रासदी की 38वीं बरसीं, सीएम शिवराज प्रार्थना सभा में हुए शामिल

Vaibhav Mishra

  • December 3, 2022 2:53 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

भोपाल गैस त्रासदी:

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हुई गैस त्रासदी की आज 38वीं बरसीं है। इस बीच गैसकांड की बरसी पर भोपाल में आज एक सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। जिसमें राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हुए।

किसी भी शहर को भोपाल नहीं बनने देना

भोपाल गैस त्रासदी की 38वीं बरसीं पर आयोजित सर्वधर्म प्रार्थना सभा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मैं दिवंगत आत्माओं के लिए प्रार्थना करता हूं। हमें जिम्मेदारी से अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए और किसी भी शहर को भोपाल नहीं बनने देने का संकल्प लेना चाहिए।

भोपाल गैस कांड के बारे में जानिए….

आज से 38 साल पहले 2-3 दिसंबर 1984 की रात भोपाल शहर के लिए काल बनकर आई थी। यूनियन कार्बाइड के कारखाने से जहरीली गैस का रिसाव हुआ था। जिसने हजारों लोगों को मौत की नींद सुला दिया था। दावा किया जाता है कि इस हादसे में करीब 16 हजार लोगों की मौत हुई थी, हालांकि सरकारी आंकड़े तीन हजार लोगों की मौत बताते हैं।

पांच लाख से अधिक लोग हुए थे प्रभावित

बता दें कि इस हादसे से पांच लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए थे। भोपाल शहरवासियों की जिंदगी मौत से भी बदतर बन गई थी। यह घटना इतनी भयावाह थी कि इसे भुलाया जाना मुश्किल है। आज भी इसे भोपाल गैस कांड या भोपाल गैस त्रासदी के नाम से याद किया जाता है। इसे भारत की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटना भी माना जाता है।

शवों को ढंकने के लिए कफन कम पड़ गए

भोपाल गैस कांड में जीवित लोग बताते हैं कि हजारों लोग नींद में ही मौत के आगोश में चले गए। पूरे शहर में लाशों का ढेर लग गया था। हालात ऐसे थे कि लाशों को ढोने के लिए गाड़ियां और शवों को ढंकने के लिए कफन कम पड़ गए थे। फैक्ट्री के पास के इलाकों में बसी झुग्गियां इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हुई थीं। पीड़ित लोगों का आज भी यह सबसे बड़ा दर्द है कि इस घटना के मुख्य आरोपी को कभी सजा नहीं मिली। इसके साथ ही आज भी उन्हें मुआवजे के लिए कोर्ट का चक्कर लगाना पड़ रहा है।

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