नई दिल्ली: रविवार यानी कल दिल्ली में जमीयत उलेमा ए हिंद के 34वें सम्मेलन के आखिरी दिन मंच पर खूब बवाल हुआ. इस दौरान मंच से भड़काऊ बयानबाज़ी की गई. एकता के नाम पर किए गए इस सम्मलेन के मंच पर खूब विवादित बयानबाजी हुई. जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने RSS प्रमुख मोहन भागवत के एक बयान पर पलटवार किया. उन्होंने ये बताने की कोशिश की कि मुसलमानों के पूर्वज हिंदू नहीं थे बल्कि आदम यानि मनु थे. इतना ही नहीं इस दौरान वह यहां तक कह गए कि ‘जब राम नहीं थे और जब शिव नहीं थे तो मनु किसे पूजते थे? वह अल्लाह को पूजते थे.’
जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के इस बयान की चौतरफा आलोचना होने लगी. अब बवाल होने के बाद मदनी ने माफ़ी मांग ली है. एक समाचार एजेंसी के जरिए उन्होंने अपने इस बयान को लेकर माफ़ी मांगी है और कहा है- ‘मुझे इस बात का अफसोस है कि मेरी जुबान से कोई ऐसी बात निकल गई जो उनके लिए तकलीफ की बात रही। लेकिन हमारा मजहब तो ये है कि हम अल्लाह को मानते हैं। वो ॐ कहते हैं, हम अल्लाह कहते हैं।’
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अधिवेशन में मौलाना अरशद मदनी के एक बयान के बाद मंच पर बवाल हो गया था. यहां पर उन्होंने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को लेकर जहर उगला था. मौलाना ने मंच से कहा कि, ‘हमारे मजहब में दखल क्यों दिया जाता है। हमारा सबसे पहला नबी मनु यानी आदम है। मदनी ने आगे कहा कि तुम्हारा पूर्वज हिंदू नहीं था बल्कि वो मनु यानी आदम था। इस बेतुके बयान के बाद मंच पर बवाल मच गया।’
बता दें कि यहां पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद का 34वां अधिवेशन चल रहा था। यहां पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को लेकर आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया गया। मौलाना ने कहा कि अल्लाह ने इसी धरती पर मनु यानी आदमी को उतारा है, जिसकी पत्नी हव्वा है। जिसको तुम लोग हेमवती कहते हो। यही लोग हिंदू, मुस्लिम, सिख ईसाई सबके पूर्वज हैं। मदनी के इस बयान पर जैन गुरु लोकेश मुनि ने तुरंत स्टेज पर खड़े होकर विरोध जाहिर किया। वहीं आपत्तिजनक बयान से नाराज होकर कई लोगों ने तुरंत मंच को छोड़ दिया।
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