नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में महाराष्ट्र पालघर के जैसा एक हादसा होते-होते रह गया। यहां उत्तर प्रदेश के बरेली से गंगासागर जा रहे संतों को बच्चा चोर समझकर ग्रामीणों ने उनकी बेरहमी से पिटाई कर दी। मौके पर पहुंचे कुछ युवकों ने संतों को भीड़ के चंगुल से बचाया। उत्तर प्रदेश के बरेली […]
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में महाराष्ट्र पालघर के जैसा एक हादसा होते-होते रह गया। यहां उत्तर प्रदेश के बरेली से गंगासागर जा रहे संतों को बच्चा चोर समझकर ग्रामीणों ने उनकी बेरहमी से पिटाई कर दी। मौके पर पहुंचे कुछ युवकों ने संतों को भीड़ के चंगुल से बचाया। उत्तर प्रदेश के बरेली निवासी एक वृद्ध संत तथा दो युवा संत खाना बनाने वाले एक व्यक्ति को लेकर किराए की गाड़ी से गंगासागर की ओर जा रहे थे।
उनको काशीपुर-बांकुड़ा सड़क होकर बांकुड़ा से गंगासागर की ओर जाना था। काशीपुर के गौरांगडी में संतों को कुछ लोगों ने दान में कुछ रुपये दिए और बताया कि नजदीक के ईंट-भट्ठा मालिक के पास जाने से उन लोगों को दान में और रुपये मिल सकते हैं। इसके बाद संत ईंट-भट्ठा की तरफ रवाना हो गए। सड़क पर गाड़ी रोककर संतो ने वहां तीन नाबालिगों से हिंदी में पूछा, ईंट भट्ठा कहां पर है?
भाषा नहीं समझने की वजह से नाबालिग भागकर ईंट-भट्ठा की ओर चले गए। भट्ठे पर मालिक के नहीं मिलने पर संत वापस लौट गए। उस वक्त तक इलाके में अफवाह फैल गई कि वो बच्चा चोर हैं। सड़क पर कुछ ग्रामीणों ने गाड़ी को रोका तथा साधुओं को नजदीक के काली मंदिर की तरफ ले गए और वहां उनके साथ मारपीट करने के बाद गाड़ी में भी तोड़फोड़ की। गांव के कुछ युवकों ने किसी तरह से संतों की जान बचाई।
सूचना पर पहुंची पुलिस संतों को थाने लेकर गई। उसके बाद काशीपुर कल्लली ग्रामीण हास्पिटल में उनका प्राथमिक इलाज कराया गया। पुलिस ने साधुओं के आधार कार्ड और कार चालक के ड्राइविंग लाइसेंस की जांच की, तो सही पाया गया। पुलिस ने तीनों नाबालिग के परिजनों से संपर्क किया, लेकिन उनलोगों ने पुलिस के पास शिकायत दर्ज नहीं की। वहीं, पीड़ित संतों ने भी अभी तक किसी के खिलाफ शिकायत दर्ज नहीं कराई है।
पश्चिम बंगाल भाजपा ने शुक्रवार (12 जनवरी) को पार्टी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय की तरफ से साझा किए वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि ममता बनर्जी की गहरी चुप्पी शर्मशार करने वाली। क्या यह साधु आपकी मान्यता के योग्य नहीं हैं? अत्याचार जवाबदेही की मांग करता है।