जयपुर। जिस प्रकार इंसानों में कोरोना की बीमारी फैल रही थी, ठीक उसी प्रकार राजस्थान में अब पशुओं में खासतौर पर गाय इस संक्रामक बीमारी का शिकार बन रही है. इस बीमारी का नाम लंपी है. जिसके प्रकोप में राजस्थान की हजारों गायें आ चुकी है। हालांकि लंपी डिसीज की आहट तो बीते कुछ […]
जयपुर। जिस प्रकार इंसानों में कोरोना की बीमारी फैल रही थी, ठीक उसी प्रकार राजस्थान में अब पशुओं में खासतौर पर गाय इस संक्रामक बीमारी का शिकार बन रही है. इस बीमारी का नाम लंपी है. जिसके प्रकोप में राजस्थान की हजारों गायें आ चुकी है। हालांकि लंपी डिसीज की आहट तो बीते कुछ दिनों से लगातार आ रही है, लेकिन बीमारी फैलने की रफ्तार के मुकाबले पशुपालन विभाग की तैयारियां कुछ ज्यादा ही मंद दिख रही हैं.
दरअसल, चिंता की बात यह है कि पशुओं की बीमारी लगातार मौत तो हो रही है, लेकिन पशुपालन विभाग के पास इन मौतों का सटीक आंकड़ा नहीं पहुंच रहा हैं. ऐसे में बीमारी के भयानक रुप का सही से अंदाजा भी नहीं लगा पा रहे है. वहीं,सवाल ये उठता है कि पशुपालन विभाग बीमारी से निपटने कि लिए कितनी पुख्ता तैयारियां कर रहा है? सवाल यह भी उठता है कि क्या ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि ये बेजुबान वोट नहीं डालते?
बता दें कि राज्य का गोवंश गंभीर बीमारी का सामना कर रहा है. इन पशुओं में लंपी स्किन डिसीज के नाम की बीमारी फैल रही है. इस बीमारी का दायरा 15 से ज्यादा ज़िलों तक फैल गया है. असल में ये बीमारी की वजह से पशुओं की त्वचा पर गांठें पड़ रही हैं. इन गांठों के चलते बांझपन, गर्भपात, न्यूमोनिया और लंगड़ेपन जैसी परेशानियां सामने आ रही है. वहीं, पशुओं में कई बार तो ये बीमारी मौत का कारण भी बन रही है. पशुपालन विभाग ने बताया कि ये बीमारी गुजरात से सटे सामीवर्ती ज़िलों के साथ ही जोधपुर संभाग में ज्यादा पैर पसार रही है. तकरीबन राज्य के आधे हिस्से में लंपी स्किन डिसीज दस्तक दे चुकी है.
गौरतलब है कि ये डिसीज राजस्थान के उदयपुर, सिरोही, नागौर, अजमेर,जालोर, बाड़मेर, अजमेर, पाली ज़िला भी अपने पैर पसार चुकी है. जोधपुर संभाग मुख्यालय से झुंझुनूं, सीकर तक भी असर दिख रहा है. हनुमानगढ़, बीकानेर, गंगानगर में संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं. वहीं, पशुपालन विभाग के पास 1 अगस्त तक 77 हज़ार 415 मामले सामने आए हैं. इनमें से 58 हज़ार 517 का इलाज किया गया है. जिसमें से अभी तक 28 हज़ार 799 पशु रिकवर भी हुए हैं. पशुपालन विभाग के मुताबिक बीमारी के कारण 3644 पशुओं की मौत हुई है.
बेहरहाल, इस बीमारी से निपटने के लिए अब केंद्रीय टीम भी सक्रिय हो गई है. केंद्रीय टीम जोधपुर दौरे पर है, तो पशुपालन मंत्री लालचंद्र कटारिया ने बुधवार यानी आज एक बार फिर से मीटिंग बुलाई है. इसी बीच पशुपालन विभाग ने किसानों को एडवाइज़री भी जारी की है. तो बीमारी से निपटने के लिए फंड भी दिया गया है.
उधर गायों के मुद्दों पर आमतौर पर मुखर होने वाली भारतीय जनता पार्टी भी अब इस मुद्दे पर बोल रही है. प्रतिपक्ष के उपनेता राजेन्द्र राठौड़ कहते हैं कि इस बीमारी का टीका नहीं होना चिंता का कारण है, लिहाजा उन्होंने ट्वीट कर मुख्यमंत्री और पशुपालन मंत्री से इस बात का आग्रह किया है कि पशुपालकों के बीच संक्रमण रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिये.