नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार (26 अक्टूबर) को एक फैसले में कहा कि हर किसी को अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने का अधिकार संवैधानिक है. ऐसे वैवाहिक संबंधों पर परिवार के सदस्य भी आपत्ति नहीं कर सकते। अदालत ने एक नवयुगल की याचिका पर सुनवाई की जो अपनी शादी के […]
नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार (26 अक्टूबर) को एक फैसले में कहा कि हर किसी को अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने का अधिकार संवैधानिक है. ऐसे वैवाहिक संबंधों पर परिवार के सदस्य भी आपत्ति नहीं कर सकते। अदालत ने एक नवयुगल की याचिका पर सुनवाई की जो अपनी शादी के बाद अपने परिवार से धमकियों का सामना कर रहे थे। कोर्ट ने जोड़े को पुलिस सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश दिया है.
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला ने अपनी टिप्पणी में कहा कि अपने नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करना हमारी संवैधानिक जिम्मेदारी है. याचिकाकर्ता को अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने का अधिकार संविधान के तहत अनुलंघनीय और संरक्षित है और इसे किसी भी तरह से कमजोर नहीं किया जा सकता है।न्यायमूर्ति ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के बीच विवाह के तथ्य और उनके बालिग होने के तथ्य के बारे में कोई संदेह नहीं है। ऐसी स्थिति में परिवार के सदस्य भी याचिकाकर्ता के बीच वैवाहिक संबंध पर आपत्ति नहीं कर सकते।
याचिकाकर्ता ने बताया कि उन्होंने अपने परिवारीजनों की मर्जी के खिलाफ अप्रैल में शादी की थी, तब से दोनों खुशी-खुशी साथ रह रहे हैं, लेकिन परिवारीजनों उन्हें लगातार धमकी दे रहे हैं. याचिकाकर्ता की बात सुनने के बाद न्यायाधीश ने नवदंपति को सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश दिया. बीट अधिकारी को भी समय-समय पर जांच करने के लिए भी कहा।
अदालत ने यह भी कहा कि यदि याचिकाकर्ता अपना पता बदलते हैं तो उन्हें संबंधित पुलिस स्टेशन के एसएचओ को सूचित करना होगा, जो वर्तमान आदेश का अनुपालन करेगा. आदेश में अदालत ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता को अपने वर्तमान आवासीय पते के साथ अपने कामकाजी पते के बारे में भी पुलिस को बताना होगा, जो किसी भी अनधिकृत व्यक्ति को नहीं बताया जाएगा।