मुंबई। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के मुंब्रा के अध्यक्ष मतीन शेखानी के मुंबई पुलिस ने शुक्रवार को एफआईआर दर्ज की है. पुलिस ने ये मामला महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम की धारा 37(3) और आईपीसी की धारा 188 के दर्ज किया है. पुलिस के अनुसार मतीन ने अवैध जनसभा का आयोजन किया था. मतीन पर भड़काऊ भाषण […]
मुंबई। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के मुंब्रा के अध्यक्ष मतीन शेखानी के मुंबई पुलिस ने शुक्रवार को एफआईआर दर्ज की है. पुलिस ने ये मामला महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम की धारा 37(3) और आईपीसी की धारा 188 के दर्ज किया है. पुलिस के अनुसार मतीन ने अवैध जनसभा का आयोजन किया था. मतीन पर भड़काऊ भाषण देने का भी आरोप है।
मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने को लेकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे के राज्य सरकार को अल्टमेटम देने के बाद शुक्रवार को पीएफआई मुंब्रा अध्यक्ष ने विरोध प्रदर्शन किया था. जिसमें मतीन ने कहा था कि अगर एक भी लाउडस्पीकर को छुआ गया तो पीएफआई सबसे आगे दिखेगी।
मतीन शेखानी ने विरोध प्रदर्शन में सरकार के ऊपर देश के मुसलमानों को दबाए जाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि कुछ लोग माहौल खराब करना चाहते है. धमकी भरे अंदाज में मतीन ने कहा कि अगर हमको समस्या दोगे तो हम छोड़ेंगे नहीं।
बता दे कि इससे पहले मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने कहा था कि लाउडस्पीकर एक धार्मिक मुद्दा ना होकर सामाजिक मुद्दा है. मस्जिदो पर लगे लाउडस्पीकर से आने वाली आवाज लोगों को परेशान करती है और अब इसका हल निकालना ही होगा. राज ठाकरे ने महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा था कि कि अगर 3 मई तक सभी मस्जिदों से लाउडस्पीकर को नहीं हटाया गया तो सरकार को परिणाम भुगतान होगा।
राज ठाकरे ने कहा था राज्य सरकार मस्जिद के मौलवियों से बात करके मस्जिद से लाउडस्पीकर को हटाए, नहीं तो महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के कार्यकर्ता मस्जिदों के सामने जाकर हनुमान चालिसा का पाठ करेंगे।
महाराष्ट्र की राजनीति में पिछले तीन सालों में बड़ा बदलाव हुआ है. हमेशा हिंदुत्व के मुद्दे पर राजनीति करने वाली शिवसेना के एनसीपी और कांग्रेस से गठबंधन करने के बाद अब राज ठाकरे की पार्टी मनसे की नजर शिवसेना के हिंदुत्व समर्थक वोटरों पर है।
गौरतलब है राज ठाकरे भी पहले शिवसेना का ही हिस्सा था. लेकिन बाद में उन्होंने शिवसेना का साथ छोड़कर अपनी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बना ली थी. शुरूआती सफलता मिलने के बाद पिछले कई साल से मनसे राज्य की राजनीति में ढलान की ओर है. पिछले दो विधानसभा चुनाव में उसे महज एक-एक सीट ही मिली है।