साल 2024 अपने अंतिम पड़ाव पर है, लेकिन यह साल भारत के लिए प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से काफी विनाशकारी साबित हुआ। 26 मई को उत्तरी हिंद महासागर चक्रवात सीजन के पहले तूफान चक्रवात रेमल ने पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के सुंदरबन डेल्टा से टकराकर जमकर तबाही मचाई।
नई दिल्ली: साल 2024 अपने अंतिम पड़ाव पर है, लेकिन यह साल भारत के लिए प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से काफी विनाशकारी साबित हुआ। बाढ़, भूस्खलन और चक्रवात जैसी आपदाओं ने न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया, बल्कि सैकड़ों जिंदगियां भी छीन लीं। इन आपदाओं से देश के कई हिस्से बुरी तरह प्रभावित हुए। आइए, एक नजर डालते हैं इस साल की कुछ प्रमुख प्राकृतिक आपदाओं पर, जिसका असर आज भी देखा जा सकता है.
26 मई को उत्तरी हिंद महासागर चक्रवात सीजन के पहले तूफान चक्रवात रेमल ने पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के सुंदरबन डेल्टा से टकराकर जमकर तबाही मचाई। 100-135 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं ने बंगाल, मिजोरम, असम और मेघालय में कहर बरपाया। इस चक्रवात ने कम से कम 30 लोगों की जान ले ली और हजारों घरों को नष्ट कर दिया। वहीं कमजोर इमारतें आज भी इस तूफान के प्रभाव की गवाह हैं।
31 अगस्त से 9 सितंबर तक आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में भारी बारिश और उफनती नदियों ने विनाश का मंजर खड़ा कर दिया था। बुडामेरु और कृष्णा नदी के उफान के कारण 40 से अधिक लोगों की मौत हो गई, जबकि तीन लाख लोग प्रभावित हुए थे। करीब 44,000 विस्थापितों को राहत शिविरों में शरण दी गई। इस बाढ़ ने विजयवाड़ा और आसपास के इलाकों में जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया था।
जून से अगस्त के बीच हिमाचल प्रदेश में 50 से अधिक बार बादल फटने और बाढ़ की घटनाएं हुईं। इन आपदाओं में कम से कम 30 लोग मारे गए और कई लापता हो गए। लाहौल और स्पीति जैसे पर्यटन स्थलों पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा, जहां सैकड़ों घर और सड़कें क्षतिग्रस्त हो गईं। इस प्राकृतिक आपदा ने स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों को भी मुश्किल में डाल दिया।
30 जुलाई को केरल के वायनाड में भूस्खलन ने 420 से अधिक लोगों की जान ले ली, 397 घायल हुए और 47 लापता हो गए थे। यह भूस्खलन वायनाड और मलप्पुरम जिलों में हुआ, जिससे 1,500 से अधिक घर क्षतिग्रस्त हो गए। इस तबाही के कारण पर्यटन में भी भारी गिरावट देखी गई थी।
30 नवंबर को चक्रवात फेंगल ने पुडुचेरी में दस्तक दी थी। 46 सेमी बारिश के कारण पूरे क्षेत्र में पानी भर गया था। इस तूफान ने 20 लोगों की जान ली और तमिलनाडु व महाराष्ट्र में फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया।
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