मुंबई. नरेंद्र मोदी सरकार के आखिरी फुट बजट के अगले दिन यानी शुक्रवार (2 फरवरी) को मार्केट में भूचाल आ गया. पिछले साल अगस्त 2017 में बाद बीएसई सेंसेक्स 839.91 पॉइंट्स गिर गया और यह 35,066.75 पर बंद हुआ जबकि एनएसई में 256.30 पॉइंट्स की गिरावट देखी गई और यह 10,760.60 पर बंद हुआ. बाकी कसर रेटिंग एजेंसी फिच ने पूरी कर दी. एजेंसी ने कहा कि भारत सरकार पर कर्ज का बढ़ता बोझ उसकी रेटिंग में सुधार की राह में सबसे बड़ी चुनौती है.
विशेषज्ञों का कहना है कि बाजार के लुढ़कने की वजह लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स है, जिसकी वजह से लंबे समय से जारी रफ्तार थम गई. शेयर बाजार में कारोबार शुरू होते ही ट्रेडरों और निवेशकों ने लंबे समय से रखे शेयर धड़ाधड़ बेचने शुरू कर दिया. एेसे में सभी निवेशक 1 अप्रैल 2018 से दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर लागू होने से पहले अपनी स्थिति मजबूत करना चाहेंगे.
दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर के अलावा शेयर बाजार पर राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को 3.2 फीसदी से बढ़ाकर 3.5 फीसदी किए जाने का भी असर दिखा. रेटिंग एजेंसी फिच ने इसका हवाला देते हुए कहा है कि घाटा बढ़ने के कारण ही भारत की रेटिंग में सुधार नहीं किया जा रहा है.बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सूचीबद्ध शेयरों, इक्विटी फंडों और बिजनेस ट्रस्टों की यूनिटों के हस्तांतरण से मिले एक लाख रुपये से अधिक के दीर्घकालिक कैपिटल गेन पर 10 फीसदी की दर से टैक्स लगाने का प्रस्ताव किया है.
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