नई दिल्ली. साल 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों की तैयारियां जोर पर हैं. ऐसे में बिहार की 40 लोकसभा सीटों की बात करें तो इनमें 16 सीटों पर जदयु चुनाव लड़ेगी, भाजपा 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, लोजपा 5 सीटों पर जबकि रालोस्पा 2 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. इस बीच लाइव सिटीज के हवाले से चौंकाने वाली खबर ये है कि बिहार सरकार के जल संसाधन मंत्री ललन सिंह के सिवा किसी भी विधायक या मंत्री को टिकट नहीं दिया गया है.
दरअसल ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि अगर विधायक चुनाव जीतकर सांसद बन जाते हैं तो नीतीश कुमार की सरकार अल्पमत में आ जाएगी. बिहार विधानसभा में 243 विधायक हैं, ऐसे में बहुमत के लिए 122 विधायकों की जरूरत होती है. राजग गठबंधन में दोनों बड़ी पार्टियां जदयू और भाजपा की बात करें तो, जदयू के पास 70 विधायक हैं जबकि भाजपा के पास कुल 53 विधायक हैं. दोनों को मिलाया जाए तो 123 यानी बहुमत से एक आधिक का आंकड़ा बनता है. ऐसे में अगर चुनाव लड़ने को इच्छुक 13 विधायकों को टिकट दिया जाए और इनमें से कोई पांच भी चुनाव जीत जाते हैं तो पांचों विधायक सांसद हो जाएंगे और विधायकों की संख्य 118 रह जाएगी और गठबंधन अल्पमत में आ जाएगा. विधायकों की संख्या घटकर 238 पर आ जाएगी. जिसके बाद नीतीश को ऐसी पार्टियों के भरोसे रहना पड़ेगा जिनपर उन्हें भरोसा नहीं है. लोजपा के दो विधायक है, जिन्हें नीतीश सरकार के गठन के समय कोई मंत्री पद नहीं दिया गया था. 2 विधायक रालोस्पा के हैं, इनमें से भी किसी को मंत्री पद नहीं दिया गया था. दोनों दलों में से किसी को प्रतिनिधित्व नहीं मिला था. इसलिए अब नीतीश का इन दोनों का भरोसा करना खतरे से खाली नहीं है. लेकिन कई विधायक और मंत्री ऐसे हैं जो टिकट पाने और चुनाव लड़ने के लिए उत्सुक हैं.
टूट सकता है टिकट पाने का सपना
दुमरांव से जदयु के विधायक ददन यादव बक्सर से लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारी का दावा कर रहे हैं, वहीं बिहार सरकार के उद्योग मंत्री जय कुमार सिंह दिनारा से जदयु विधायक हैं और चुनाव लड़ना चाहते हैं. बिहार सरकार में सहकारिता मंत्री और भाजपा विधायक राना रंधीर सिंह की तैयारी भी जोर पर है. ये मोतीहारी से चुनाव लड़ना चाहते हैं. दिनेश चंद्र यादव जदयु से राज्य सरकार के आपदा प्रबंधन मंत्री और सिमरी बख्तियारपुर से विधायक हैं और चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं. बता दें कि इन्हें मिलाकर कुल 13 ऐसे विधायक और मंत्री हैं जो 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ने का सपना देख रहे हैं लेकिन ये संभव दिखाई नहीं पड़ रहा.
गौरतलब है कि बिहार में रोलास्पा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा का कम सीटों के साथ भी राजग में रहना लगभग तय है. दूसरी ओर खबर है कि उनकी सीट बदली जा सकती है और अपनी मर्जी के अनुसार उनको काराकाट सीट मिल सकती है.
हालांकि बीते शुक्रवार को अरवल के सर्किट जिले में आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी यादव और रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के बीच मुलाकात हुई. जब दिल्ली में अमित शाह और नीतीश कुमार सीट बंटवारों पर चर्चा कर रहे थे तो वहीं अरवल के सर्किट जिले में एनडीए के सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा तेजस्वी यादव से मुलाकात कर रहे थे. जिससे उनके महागठबंधन में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही थीं. लेकिन अब उनका राजग में रहना तय हो चुका है.
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