नई दिल्लीः लोकसभा चुनाव से पहले सवाल पूछा जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने विपक्षी गठबंधन इंडिया का चेहरा कौन होगा ? इस बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने कहा है कि 1977 के लोकसभा चुनाव (आपातकाल के बाद) में भी किसी को प्रधानमंत्री के चेहरे के रूप में उतारा नहीं गया था।
विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (इंडिया) में शामिल एनसीपी के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने बताया कि लोकसभा चुनाव के बाद मोराराजी देसाई को प्रधानमंत्री बनाया गया। कोई चेहरा सामने नहीं रखने का असर नहीं दिखा। अगर लोग बदलाव के मूड में हैं, तो वे बदलाव लाने के लिए फैसला लेंगे। शरद पवार का नाम भी पीएम चेहरे की रेस में बताया जाता रहा है, हालांकि वो खुद इससे इनकार करते रहे हैं। बता दें कि इस समय महाराष्ट्र में एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव गुट ) का गठबंधन है।
बता दें कि 19 दिसंबर की बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने सभी को चौंकाते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का नाम पीएम चेहरे के लिए आगे किया था। हैरानी की बात ये रही कि इस प्रस्ताव को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने भी हामी भरी। हालांकि खरगे ने इस प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा कि हमें पहले चुनाव जीतने पर ध्यान देनी चाहिए। पीएम फेस को लेकर जब ममता बनर्जी से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि हम जहां भी जाते हैं तो लोग पूछते हैं कि आपका चेहरा कौन होगा? मैंने खड़गे का नाम बैठक में आगे रखा था।
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