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Loksabha Election: उम्मीदवार के नामाकंन रद्द होने का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, सीजेआई बोले- इस तरह तो फैल जाएगी…

नई दिल्लीः लोकसभा चुनाव में एक निर्दलीय प्रत्याशी के नामांकन पत्र रद्द होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अगर कोर्ट नामाकंन रद्द होने के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं पर विचार करना शुरू कर दिया तो अराजकता फैल […]

Loksabha Election: उम्मीदवार के नामाकंन रद्द होने का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, सीजेआई बोले- इस तरह तो फैल जाएगी...
inkhbar News
  • April 19, 2024 7:58 pm Asia/KolkataIST, Updated 12 months ago

नई दिल्लीः लोकसभा चुनाव में एक निर्दलीय प्रत्याशी के नामांकन पत्र रद्द होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अगर कोर्ट नामाकंन रद्द होने के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं पर विचार करना शुरू कर दिया तो अराजकता फैल जाएगी।

बिहार के बांका का है मामला

अदालत ने यह कड़ी टिप्पणी बिहार के एक व्यक्ति की याचिका को खारिज करते हुए की। दरअसल, बिहार के बांका सीट से जवाहर कुमार झा ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन पत्र दायर किया था। हालांकि, रिटर्निंग ऑफिसर ने उनके नॉमिनेशन को रद्द कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने आरओ पर मनमाने और दुर्भावनापूर्ण रवैया पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि अगर हम नामांकन पत्रों की अस्वीकृति के खिलाफ संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत याचिकाओं पर विचार करना शुरू कर देंगे तो अराजकता फैल जाएगी। न्यायालय ने कहा कि आपको कानून का पालन करना होगा। पीठ ने कहा कि उम्मीदवार के नामांकन पत्र रद्द के खिलाफ दायर याचिका पर हम सुनवाई के इच्छुक नहीं है।

याचिकाकर्ता ने मांगा था अतिरिक्त समय

याचिकाकर्ता ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए अपनी याचिका में कहा कि किसी विशिष्ट परिभाषा के अभाव में आरओ अक्सर कई उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों को पूरी तरह से मनमाने तरीके से रद्द कर देते हैं। याचिकाकर्ता ने देश भर के आरओ को निर्देश देने की भी मांग की थी कि चुनाव नामांकन पत्रों में चिह्नित किसी भी गलती को ठीक करने के लिए प्रत्येक उम्मीदवार को कम से कम एक दिन का अनिवार्य रूप से समय दिया जाए।

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