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GST संशोधन बिल 2017 लोकसभा में पास, राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई से जुड़ा है ये बिल

लोकसभा में बुधवार को गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) से संबंधित संशोधन बिल, 2017 पास हो गया. सदन की कार्यवाही को गुरुवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया है. जीएसटी के इस संशोधन बिल में राज्यों को जीएसटी लागू होने के बाद से हुए नुकसान के लिए मुआवजा दिए जाने से संबंधित प्रावधान हैं. जीएसटी (राज्यों को मुआवजा दिए जाने से संबंधित) बिल, 2017 को इसी साल 27 मार्च, 2017 को लोकसभा में पेश किया गया था.

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  • December 27, 2017 7:59 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्लीः लोकसभा में बुधवार को गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) से संबंधित संशोधन बिल, 2017 पास हो गया. सदन की कार्यवाही को गुरुवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया है. जीएसटी के इस संशोधन बिल में राज्यों को मुआवजा दिए जाने से संबंधित प्रावधान हैं. जीएसटी (राज्यों को मुआवजा दिए जाने से संबंधित) बिल, 2017 को इसी साल 27 मार्च, 2017 को लोकसभा में पेश किया गया था. इस बिल में निम्न बातों का जिक्र किया गया हैं, जिन्हें इन 8 पॉइंट्स से समझने की कोशिश करते हैं:

1- इस बिल के अनुसार, जीएसटी लागू होने के बाद अगर राज्यों को किसी तरह का नुकसान (राजस्व आदि का नुकसान) होता है तो उसके नुकसान की क्षतिपूर्ति की जाएगी यानी उस राज्य को मुआवजा दिया जाएगा.

2- राजस्व के नुकसान पर मुआवजे की राशि को किसी भी राज्य के लिए 5 साल के लिए तय किया जाएगा. 5 साल की मियाद का समय तब से शुरू होगा जब वह राज्य पूरी तरह से जीएसटी को सूबे में लागू कर देगा.

3- मुआवजे की राशि तय करने से संबंधित फाइनेंशियल ईयर के तौर पर सरकार ने साल 2015-16 को बेस ईयर माना है. फिलहाल के लिए इसी वर्ष से मुआवजे का समय शुरू माना जाएगा. केंद्र सरकार ने 5 साल के लिए किसी भी राज्य की राजस्व दर के ग्रोथ रेट को 14 प्रतिशत प्रति वर्ष मूल माना है.

4- बेस ईयर टैक्स संबंधित राज्यों के रेवेन्यू में सरकार ने जिन टैक्स को शामिल किया है वह हैं, स्टेट वैल्यू एडेड टैक्स (वैट), सेंट्रल सेल्स टैक्स, एंट्री टैक्स, लोकल बॉडी टैक्स, लग्जरी टैक्स, एडवरटाइजमेंट पर लगने वाले टैक्स आदि. एल्कोहल, पेट्रोलियम पदार्थों में लगने वाली टैक्स दरों को बेस ईयर रेवेन्यू से बाहर रखा गया है.

5- राज्य के मुआवजे की रकम की गणना करते हुए हर दो महीने के आखिरी में इसे जारी किया जाएगा. राज्य के मुआवजे से संबंधित गणना का सालाना हिसाब रखते हुए साल के अंत में कैग द्वारा इसका ऑडिट करवाया जाएगा.

6- जीएसटी परिषद द्वारा कुछ तय वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर एक जीएसटी मुआवजा उपकर लगाया जा सकता है. इस उपकर से संबंधित रसीदें जीएसटी मुआवजा फंड में जमा कराई जाएंगी. जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों की क्षतिपूर्ति के लिए मुआवजे की गणना के लिए इन्हीं रसीदों का इस्तेमाल किया जाएगा.

7- तय उपकर के मुताबिक, पान मसाले पर 135 प्रतिशत, कोयले पर 400 रुपये प्रति टन, तंबाकू की एक हजार स्टिक्स के लिए 4170 रुपये + 290 प्रतिशत और दूसरी वस्तुओं और सेवाओं के लिए 15 प्रतिशत कर निर्धारित किया गया है.

8- मुआवजे की राशि के लिए बनाए गए फंड से बची हुई राशि मुआवजे की निर्धारित समय सीमा के अंत में निम्न प्रकार से वितरित की जाएगी. एक- राज्यों के राजस्व के अनुपात में 50 प्रतिशत राशि राज्यों के बीच साझा किए जाने के लिए और दूसरी- शेष 50 प्रतिशत राशि केंद्र के हिस्से में आने वाले टैक्स में विभाजित कर वितरित की जाएगी.

 

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