Lok Sabha Election 2024: बीजेपी को यूपी, राजस्थान और हरियाणा में क्यों हुआ सीटों का नुकसान?

लखनऊ/जयपुर/चंडीगढ़: 4 जून को लोकसभा चुनाव के नतीजे आ गए और बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को बहुमत मिल गया. परंतु बीजेपी 240 सीटों पर सिमट गई और बहुमत के आंकड़े से दूर हो गई. वहीं, दूसरी ओर I.N.D.I.A गठबंधन ने कड़ी चुनौती देते हुए 234 सीटों पर जीत दर्ज की. दरसअल यूपी, हरियाणा […]

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Lok Sabha Election 2024: बीजेपी को यूपी, राजस्थान और हरियाणा में क्यों हुआ सीटों का नुकसान?

Vaibhav Mishra

  • June 15, 2024 4:11 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 months ago

लखनऊ/जयपुर/चंडीगढ़: 4 जून को लोकसभा चुनाव के नतीजे आ गए और बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को बहुमत मिल गया. परंतु बीजेपी 240 सीटों पर सिमट गई और बहुमत के आंकड़े से दूर हो गई. वहीं, दूसरी ओर I.N.D.I.A गठबंधन ने कड़ी चुनौती देते हुए 234 सीटों पर जीत दर्ज की. दरसअल यूपी, हरियाणा और राजस्थान में बीजेपी की सीटों की संख्या में गिरावट के आकलन से पता चलता है कि विपक्ष को इतनी सीटें क्यों आई है. विपक्ष को इतने सीटें जीतने में जाट, दलित और मुस्लिम वोटरों का मुख्य योगदान रहा है.

हालांकि बीजेपी ने अभी तक अधिकारिक तौर अपनी चुनावी प्रक्रिया में खामियों की समीक्षा नहीं की है. दरसअल पार्टी केंद्रीय नेतृत्व को निष्कर्ष भेजने से पहले कई स्तरों पर पार्टी के प्रदर्शन की समीक्षा और आंकलन कर रहा है.

महंगाई-बेरोजगारी के चलते हुआ नुकसान

कई बीजेपी नेताओं का ये भी कहना है कि बेरोजगारी और महंगाई के कारण भी पार्टी को सीटों का नुकसान उठाना पड़ा. दरअसल बीजेपी ने 2019 के हुए लोकसभा चुनावों में यूपी में 62 सीटें जीतीं थी. लेकिन इस बार के चुनाव में 33 सीटों पर सिमट गई. वहीं राजस्थान में 25 से 14 सीटों पर आ गई और हरियाणा में 10 से घटकर 5 सीटों पर रह गई.

विपक्ष के संविधान वाले प्रचार से नुकसान

बीजेपी के कई नेताओं ने कहा कि विपक्ष ने इस बार ये प्रचार किया था कि अगर भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए की 400 से ज्यादा सीटें जीत जाता है तो संविधान खतरे में पड़ सकता है. इस कारण भी पार्टी को काफी नुकसान हुआ है. इनमें से एक नेता ने ये भी कहा कि केंद्रीय और राज्य स्तर पर ये उम्मीद थी कि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पीएम मोदी की लोकप्रियता पार्टी के सामने आने वाली हर कमी को दूर कर देगी. वहीं राजस्थान के एक भाजपा नेता ने कहा कि इसका नतीजा ये हुआ कि पार्टी ने उम्मीदवारों को चयन करते समय जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओ की बात नहीं सुनी और उनकी बातों को अनसुना कर दिया, जिसके कारण पार्टी को नुकसान हुआ.

बीजेपी से जाट वोटर्स की नाराजगी

बीजेपी नेताओं का कहना है कि 2020-21 में हुए कृषि आंदोलन और पहलवानों के विरोध प्रदर्शन से निपटने के सरकार के तरीके ने जाट वोटरों के अंदर विरोध पैदा कर दिया. पार्टी का आकलन ये है कि कांग्रेस के लिए कोई फैक्टर नहीं है, बस जाट वोटर बीजेपी के खिलाफ वोट करना चाहते थे और उनके पास राजस्थान और हरियाणा में कांग्रेस ही एक विकल्प था. बीजेपी नेताओं का ये भी मानना है कि राजस्थान में जाटों ने लंबे समय तक बीजेपी का समर्थन किया, जिसमें 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव भी शामिल हैं. लेकिन इस बार बीजेपी के खिलाफ जाट समुदाय की भावनाओं के कारण पार्टी को कई जाट-बहुल सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा. वहीं, यूपी में सिर्फ आरएलडी ने ही जाट-बहुल सीटों पर जीत हासिल की. वहीं जाट-बहुल सीट मुजफ्फरनगर से संजीव बालियान भी हार गए और हरियाणा में बीजेपी अंबाला, सिरसा, हिसार, सोनीपत और रोहतक जैसी सीटों पर हार का सामना करना पड़ा.

रिर्जव सीटों पर भी बीजेपी को नुकसान

बीजेपी को देशभर में एससी के लिए आरक्षित सीटों पर भी बड़ा झटका लगा है. 84 एससी सीटों पर बीजेपी की संख्या 46 से घटकर मात्र 30 रह गई. वहीं कांग्रेस जिसने पिछली बार सिर्फ़ 6 सीटें जीती थीं, उसने इस बार 20 सीटों पर जीत हासिल की.एसटी सीट के लिए आरक्षित 47 सीटों में से बीजेपी की संख्या 31 से घटकर मात्र 25 रह गई. वहीं कांग्रेस की सीटों में इजाफा हुआ. कांग्रेस ने पिछले लोकसभा में 4 सीटों पर जीत हासिल की थी. इस बार कांग्रेस ने 12 सीटों पर जीत हासिल की है. बीजेपी के कई नेताओं का कहना है कि संविधान और आरक्षण के मुद्दे पर विपक्षी इंडिया गठबंधन ने एससी/एसटी समुदाय के बीच अपने चुनावी अभियान को सही तरीके से चलाने में कामयाब रही.

BJP का खराब चुनाव प्रबंधन

बीजेपी नेताओं का ये भी कहना है कि उत्साही कार्यकर्ताओं की कमी भी खराब प्रदर्शन का एक प्रमुख कारण था. जिसके कारण बीजेपी के गढ़ माने जाने वाले शहरी सीटों में भी मतदान का प्रतिशत इस बार कम रहा. जिससे शहरी क्षेत्रों में वोटों में 18% की गिरावट आई है, जिसका सीधा असर बीजेपी पर पड़ा है. वहीं, राजस्थान, जिसने पिछले लोकसभा चुनाव और हालिया विधानसभा चुनावों में बीजेपी को भारी मत दिए थे, वहां जयपुर को छोड़कर, पार्टी के वोट शेयर में सभी 14 सीटों पर गिरावट आई. वहीं राजस्थान में प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी चित्तौड़गढ़ में अपने अभियान में काफी बिजी थे. वहीं हरियाणा में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष नायब सिंह सैनी सीएम बन गए जिसके कारण दोनों राज्यों में कोई समन्वय नहीं था.

दूसरें दल से आए नेताओं को दिया टिकट

लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा ने 30 फीसदी टिकट कांग्रेस और अन्य दलों से आने वाले नेताओं को दिया था. ये भी मुख्य कारण था जिसके चलते बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ा. हरियाणा में बीजेपी ने अन्य दलों से आए छ: नेताओं को टिकट दिया. इनमें धर्मबीर सिंह, डॉ. अरविंद शर्मा, रणजीत चौटाला, अशोक तंवर, राव इंद्रजीत सिंह, नवीन जिंदल समेत ये सभी नेता पहले कांग्रेस में रह चुके हैं. वहीं हरियाणा के सिरसा में भाजपा ने मौजूदा सांसद सुनीता दुग्गल की जगह AAP से आए नेता अशोक तंवर को मैदान में उतारा. वहीं, दूसरी तरफ हिसार से रणजीत सिंह चौटाला को मैदान में उतारा जो मार्च में पार्टी में शामिल हुए थे. दोनों ही चुनाव हार गए. बीजेपी ने यूपी के जौनपुर में कृपाशंकर सिंह को मैदान में उतारा जो कि कांग्रेस से बीजेपी में आए थे.वहीं अंबेडकरनगर से पूर्व बसपा सांसद रितेश पांडे को मैदान में उतारा, जो हाल ही में बीजेपी में शामिल हुए थे. दोनों ही चुनाव हार गए.

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