नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव पास आ रहे हैं लेकिन अब तक ‘इंडिया’ गठबंधन की पूरी तस्वीर साफ नहीं हो पाई है। उत्तर प्रदेश में भी इसको लेकर कई तरह का असमंजस बना हुआ है। इस बीच समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने एक ऐसा बयान दिया है, जिसके बाद इस तरह के कयास लगने शुरू हो गए हैं कि क्या अब उनका धीरे-धीरे इंडिया गठबंधन से मोह भंग हो रहा है।
दरअसल सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव आज़मगढ़ दौरे पर पहुंचे थे, यहां उन्होंने आगामी आम चुनाव को लेकर खुलकर बात की और दावा किया कि चुनाव में पीडीए का फ़ॉर्मूला ही एनडीए को मात दे सकता है। इस दौरान उन्होंने एक बार भी इंडिया गठबंधन का ज़िक्र नहीं किया और न ही अखिलेश ने उसके बारे में कोई राय रखी, लेकिन यह ज़रूर साफ़ कर दिया कि वो पीडीए के जरिए ही भाजपा का मुक़ाबला करने की तैयारी कर रहे हैं।
इस दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि पीडीए ही एनडीए का मुकाबला करेगा और जो बीजेपी ने पिछले वादे किए हैं कि किसानों की आय दोगुनी होना, युवाओं के लिए रोजगार मिलना, आज कम से कम इनको बताना चाहिए कि इन्होंने इतने लोगों को नौकरी दी है और इतने लोगों को रोजगार मिल गया है। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय बिना जातीय जनगणना के संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग सबकुछ पा रहे हैं और आज वाइस चांसलर की नियुक्ति में किसे मौका मिल रहा है, कौन है वो लोग जो वाइस चांसलर नियुक्त कर रहे हैं।
ऐसा पहली बार नहीं हैं जब अखिलेश यादव का रुख इस तरह दिखाई दिया है। सपा प्रमुख की कांग्रेस से हाल ही में कई बार तल्खी भी देखी गई है। बता दें कि अखिलेश ने कांग्रेस पर जातीय जनगणना का मुद्दा हड़पने तक का आरोप लगा दिया था। अखिलेश ने कहा कि जातीय जनगणना, ओबीसी के मुद्दे और महिलाओं के मुद्दों को उन्होंने उठाया था लेकिन अब कांग्रेस हमारे मुद्दों को अपना बना रही है।
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