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मंकी पॉक्स: दिल्ली में बढ़ी सतर्कता, लोक नायक हॉस्पिटल को बनाया गया डेडिकेटेड अस्पताल

नई दिल्ली: कोरोना के बाद अब देश में मंकीपॉक्स के मामलों में चिंताएं बढ़ा दी हैं. हालांकि अभी तक देश में मंकीपॉक्स के 2 मामले सामने आए हैं और दोनों मामले केरल से जुड़े हैं. भले ही राजधानी दिल्ली में मंकीपॉक्स का अभी कोई मामला सामने नहीं आया है लेकिन दिल्ली सरकार ने इससे बचाव […]

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मंकी पॉक्स: दिल्ली में बढ़ी सतर्कता, लोक नायक हॉस्पिटल को बनाया गया डेडिकेटेड अस्पताल
  • July 19, 2022 3:40 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली: कोरोना के बाद अब देश में मंकीपॉक्स के मामलों में चिंताएं बढ़ा दी हैं. हालांकि अभी तक देश में मंकीपॉक्स के 2 मामले सामने आए हैं और दोनों मामले केरल से जुड़े हैं. भले ही राजधानी दिल्ली में मंकीपॉक्स का अभी कोई मामला सामने नहीं आया है लेकिन दिल्ली सरकार ने इससे बचाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं और दिल्ली के लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल को इस बीमारी के इलाज के लिए डेडीकेटेड अस्पताल बनाया गया है. लोकनायक अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ सुरेश कुमार ने बताया कि मंकीपॉक्स के इलाज के लिए लोकनायक अस्पताल में एक अलग आइसोलेशन वार्ड तैयार किया गया है.

20 से अधिक देशों में आए मंकी पॉक्स के केस

डॉ सुरेश कुमार ने बताया की मंकीपॉक्स एक नया वायरस डिजीज है जो सबसे पहले अफ्रीका में देखने को मिला. अफ्रीका के बाद 20 से भी अधिक देशों में मंकी पॉक्स के मामले सामने आए है. ये एक डीएनए वायरस है जोकि जेनेटिक बीमारी है. जो लोग जानवर के संपर्क में आते है या मीट का प्रयोग करते है उनमें ज्यादा देखने को मिला है. भारत में अभी तक इसके 2 मामले केरल में सामने आए है.भारत सरकार द्वारा जो गाइडलाइंस जारी की गई है उसका पालन करते हुए डिटेल एसओपी बनाए गए है.

जो भी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पर ट्रेवल कर के आता है और उसको स्किन मे कोई प्रॉब्लम होती है या फिर मंकी पैक्स का सस्पेक्टेड केस होता है और उसे अगर लोक नायक हॉस्पिटल लाया जाता है तो उसके इलाज के लिए हॉस्पिटल की तरफ से हमने पूरी व्यवस्था की है.ऐसे लोगों को अलग से आइसोलेट किया जाता है. इसके लिए 6 बेड का अलग वार्ड बनाया गया है. इसके साथ ही केंद्र सरकार और डब्ल्यूएचओ के प्रोटोकॉल के हिसाब से इलाज की व्यवस्था की गई है.

मृत्युदर है कम

डॉ सुरेश कुमार ने बताया कोरोना के मुकाबले मंकीपॉक्स के मामले में मृत्यु दर काफी कम है.अभी तक भारत में मंकी पॉक्स से एक भी मौत नही हुई है. 2 मामले जरूर सामने आए है.ये वैसे लोग थे जो विदेश से आए है और मंकी पॉक्स से संक्रमित लोगो के संपर्क में आए थे.इस बीमारी में इंसान से इंसान में संक्रमण हो सकता है.इससे बचाव सबसे जरूरी है.मास्क का प्रयोग करना सबसे जरूरी है.सामान्य मास्क का भी प्रयोग किया जा सकता है.इसके साथ साथ सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखना भी जरूरी है.यदि किसी व्यक्ति में मंकी पॉक्स के लक्षण सामने आते है तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.इसके टेस्ट के लिए स्किन से स्लेट लिया जाता है.इसका टेस्ट स्किन से होता है.इसके जांच से हमे पता चलता है की इंसान में मंकी पॉक्स का वायरस है या कोई दूसरा वायरस.

इन आधारों पर होता है इलाज

डॉ सुरेश कुमार ने बताया की मंकी पॉक्स के मरीजो को सिस्टमैटिक ट्रीटमेंट दिया जाता है.अगर मरीज को बुखार है तो पेरासिटामोल दिया जाता है.अगर किसी को स्किन में प्रॉब्लम है तो स्किन का इलाज किया जाता है.ज्यादातर मंकी पॉक्स के मामले 2 से 3 हफ्ते में ठीक हो जाते है.जिन लोगो की इम्युनिटी कमजोर होती है उन्हें थोड़ी परेशानी होती है.

 

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