भोपाल : मुंबई से लिव इन रिलेशनशिप वारदात ने पूरे देश की नींद उड़ा दी है. जहां एक साथ रह रहे आफताब ने अपनी ही प्रेमिका श्रद्धा को मारकर 35 टुकड़ों में काट दिया. दोनों दिल्ली आए थे जहां आफताब ने इस पूरी वारदात को अंजाम दिया. शातिर आफताब ने बड़ी ही क्रूरता से अपनी […]
भोपाल : मुंबई से लिव इन रिलेशनशिप वारदात ने पूरे देश की नींद उड़ा दी है. जहां एक साथ रह रहे आफताब ने अपनी ही प्रेमिका श्रद्धा को मारकर 35 टुकड़ों में काट दिया. दोनों दिल्ली आए थे जहां आफताब ने इस पूरी वारदात को अंजाम दिया. शातिर आफताब ने बड़ी ही क्रूरता से अपनी ही प्रेमिका श्रद्धा को मौत के घात उतार दिया. इतना ही नहीं उसने श्रद्धा के शव को टुकड़ों में काटकर करीब 18 दिनों के लिए फ्रिज में रखा. इस घटना से एक बार फिर लिव इन रिलेशनशिप को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक राज्य ऐसा भी है जहां लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिलाएं सीधा दुष्कर्म का केस दर्ज़ नहीं का सकती हैं.
ये नियम देश के मध्य में बसे मध्यप्रदेश में लेकर आया गया है. जहां अगर कोई महिला किसी पुरुष के साथ लिव इन में रह रही है तो वह उसपर सीधे दुष्कर्म का केस नहीं कर सकती है. इस फैसले के पीछे प्रदेश में बढ़ते रेप के आंकड़ों को बताया गया है. बीते महीने महिला सुरक्षा शाखा ने यह आदेश जारी किया है. जहां पहले दुष्कर्म मामलों में सजा दर का अध्ययन कर यह फैसला लिया गया है.
दरअसल अध्ययन में पता चलता है कि 80 फीसदी मामलों में महिलाएं दुष्कर्म की शिकायत दर्ज़ करवाकर अपने बयान से पलट जाती हैं. ज्यादातर मामलों में फरियादी लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले कपल होते हैं. जहां महिलाएं हमेशा आरोपी के साथ समझौता कर लेती हैं. दुष्कर्म के मामलों में सजा को देखा जाए तो यह केवल 30-35 फीसदी है. इसी कारण अब मध्यप्रदेश में नियम बनाया गया है कि लिव इन रिलेशन में रहने वाली महिलाओं की शिकायत पर सीधा दुष्कर्म का मामला नहीं दर्ज़ किया जाएगा.
शिकायत मिलने के बाद सबसे पहले पुलिस महिला की काउंसलिंग करेगी और काउंसलिंग के बाद ही शिकायत दर्ज़ की जाएगी. शिकायत सही पाई गई तो ही केस दर्ज़ किया जाएगा. ये नियम केवल उन लड़कियों पर ही लागू होगा जो की बालिग हैं. रिपोर्ट्स की मानें तो अगस्त माह में मध्यप्रदेश में दर्ज दुष्कर्म के मामलों में 25.26 प्रतिशत मामले ही ऐसे थे जिसमें आरोपियों को सजा हुई. इसके अलावा जिला न्यायालयों में कुल 392 मामलों में से 293 मामलों में आरोपियों को मुक्त कर दिया गया है.
EWS आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर, 3 सवालों के जवाब पर अदालत ने दिया फैसला
EWS आरक्षण को हरी झंडी, सुप्रीम कोर्ट ने गरीब सवर्णों के हक में दिया फैसला