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सुनो हिंदुओं…80 घाव लेकर भी बाबर का गड्ढा खोदने वाला हिंदू राजा था राणा सांगा, सपा जिसे बता रही गद्दार वो है मुगलों का बाप

राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन द्वारा राणा सांगा को लेकर कहे विवादित टिप्पणी से बखेड़ा खड़ा हो गया है। उन्होंने राणा सांगा को गद्दार कहकर नया विवाद सामने ला दिया। जिस हिन्दुओं को वो गद्दार राणा सांगा की औलाद बता रहे हैं, उनके बारे में आप कितना जानते हैं?

Rana Sanga
  • March 23, 2025 12:04 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 days ago

Rana Sanga: समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन द्वारा राणा सांगा को लेकर कहे विवादित टिप्पणी से बखेड़ा खड़ा हो गया है। उन्होंने राणा सांगा को गद्दार कहकर नया विवाद सामने ला दिया। जिस हिन्दुओं को वो गद्दार राणा सांगा की औलाद बता रहे हैं, उनके बारे में आप कितना जानते हैं? अगर आप नहीं जानते हैं तो आज जानिये कि आपका इतिहास महान योद्धाओं से भरा हुआ है।

80 घाव और एक हाथ से युद्ध

1508 में मेवाड़ के शासक बने महाराणा सांगा ने 100 से अधिक युद्ध में भाग लिया है। खानवा के युद्ध के अलावा किसी में उन्होंने हार नहीं देखी। उनके पराक्रम को देखते हुए ही उन्हें हिन्दूपत की उपाधि दी गई थी। लड़ाइयों की वजह से उनका एक आँख नहीं था। एक हाथ और एक पैर सही से काम नहीं करता था। शरीर पर 80 से अधिक गंभीर घाव मौजूद थे।

हिन्दुओं के देवता राणा सांगा

राजपूताना इतिहास के विद्वान कर्नल जेम्स टाड के मुताबिक राणा सांगा के पास 80,000 घोड़े, 500 हाथी और करीब 2 लाख पैदल सैनिक थे। हिंदुओं के लिए वो देवता के सामान थे। राणा सांगा ने दिल्ली, मालवा और गुजरात के सुल्तानों से युद्ध किया और सबको हराया। उन्होंने दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी को 1517 में खतोली की लड़ाई में पराजित कर दिया। 1518-19 में इब्राहिम लोदी ने फिर उनपर हमला कर दिया लेकिन फिर से उसे हार देखनी पड़ी।

बयाना में बाबर का खोद दिया था गड्ढा

राणा सांगा ने बयाना के युद्ध में बाबर को बुरी तरह से परास्त कर दिया था। 21 फरवरी 1527 को बयाना में बाबर और राणा सांगा के बीच युद्ध हुआ था। इस जंग में बाबर की सेना बुरी तरह से हार गई और वापस आगरा लौट गई। बाबर ने अपनी आत्मकथा ‘बाबरनामा’ में लिखा है कि काफिरों ने भयंकर युद्ध किया था, इससे मुग़ल सेना का मनोबल टूट गया था। सब घबरा गए थे। बाबर अपनी आत्मकथा में ये भी लिखता है कि हिंदुस्तान में राणा सांगा और दक्कन में कृष्णदेव राय से महान कोई शासक नहीं है।

खानवा के मैदान में एकमात्र हार

16 मार्च 1527 को खानवा के मैदान में राणा सांगा और बाबर की सेना का फिर आमना-सामना हुआ। इस युद्ध में बाबर तोपों और बंदूकों से लड़ने आया, जबकि राजपूत तलवारों से लड़े। भारत में पहली बार तोपों और बंदूकों से युद्ध लड़ा जा रहा था। राणा सांगा तीर लगने से बेहोश हो गए और सेना हार गई। इस युद्ध में बाबर की जीत हुई। जनवरी 1528 में राणा सांगा को जहर दे दिया गया, जिसमें उनकी मृत्यु हो गई।

 

 

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