Chaitra Navratri 2022 Day 2: आज करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानें व्रत कथा और पूजन विधि

Chaitra Navratri 2022 Day 2 नई दिल्ली, Chaitra Navratri 2022 Day 2 हिन्दू धर्म में नवरात्रियों का विशेष महत्व माना जाता है। लोग 9 दिनों तक चलने वाले इस नवरात्रे में माँ दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा करते है और भगवान से सुख-शांति, समृद्धि की मनोकामना करते है।आज नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी […]

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Chaitra Navratri 2022 Day 2: आज करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानें व्रत कथा और पूजन विधि

Girish Chandra

  • April 3, 2022 9:44 am Asia/KolkataIST, Updated 3 years ago

Chaitra Navratri 2022 Day 2

नई दिल्ली, Chaitra Navratri 2022 Day 2 हिन्दू धर्म में नवरात्रियों का विशेष महत्व माना जाता है। लोग 9 दिनों तक चलने वाले इस नवरात्रे में माँ दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा करते है और भगवान से सुख-शांति, समृद्धि की मनोकामना करते है।आज नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाएगी. आज यानी 3 अप्रैल को माँ ब्रह्मचारिणी की व्रत कथा करने और पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. ऐसी मान्यता है कि माँ ब्रह्मचारिणी की आराधना से तप, शक्ति ,त्याग ,सदाचार, संयम और वैराग्य में वृद्धि होती है और शत्रुओं को पराजित कर उन पर विजय प्रदान होती हैं.

माँ दुर्गा का रूप ब्रह्मचारिणी के दाएं हाथ में तप की माला और बांए हाथ में कमण्डल है. इस दिन माँ की पूजा करने से जीवन में तप त्याग,वैराग्य,सदाचार और संयम प्राप्त होता है इसके साथ ही, आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है.
माँ की कृपा से व्यक्ति संकटों से घबरता नहीं है, बल्कि उनका डटकर सामना करता है.

मां ब्रह्मचारिणी की कथा

मान्यताओं के आधार पर पूर्वजन्म में मां ब्रह्मचारिणी पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं. भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए मां ब्रह्मचारिणी कठोर तपस्या करती है इसलिए इन्हें ब्रह्मचारिणी कहा जाता है. शास्त्रों और पौराणिक किताबों में ऐसा कहा गया है कि मां ब्रह्मचारिणी ने एक हजार वर्ष तक फल-फूल खाएं और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया. मां ने भगवान शिव को पाने के लिए कठिन उपवास रखे और खुले आकाश के नीचे धूप और बारिश को सहन किया.
पर्वतराज की पुत्री ने इस दौरान टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और लगातार भगवान शंकर की आराधना करती रहीं. जब इस कठोर तपस्या के बाद भी भगवान शिव उनसे खुश नही हुए तो उन्होंने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिए. ऐसा कहा जाता है कि पर्वतराज की पुत्री ने कई हजार सालों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहीं, जब मां ने सब कुछ खाना छोड़ दिया तो तब इनका नाम अपर्णा पड़ गया. कई सालों तक बिना खाए-पिये मां ब्रह्मचारिणी बहुत कमजोर हो गईं. आकाश लोक में मां की इस तपस्या को देखकर सभी देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने सरहाना की और मनोकामना पूर्ण होने का आशीर्वाद दिया.

पूजा- विधि

1- इस दिन सुबह जल्दी उठकर नहा लें और पूजा के स्थान को गंगाजल डालकर शुद्ध कर लें।
2- इसके बाद मंदिर में दीप जलाएं, मां दुर्गा का जल से अभिषेक करें।
3- मां दुर्गा को अर्घ्य दें, इसके बाद मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं।
4- मां के सामने धूप, दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें। इसके बाद मां को प्रसाद या भोग भी लगाएं। यहाँ ध्यान दें मां को केवल सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।

Disclaimer: यहाँ लिखी बाते सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि Inkhabar किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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