नई दिल्लीः दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल अनिल बैजल के बीच पावर को लेकर छिड़े वॉर में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच में भी अलग-अलग राय देखने को मिली. हालांकि, कुछ ही फैसलों को लेकर दोनों जजों की राय अलग थी, बाकी में दोनों सहमत थे. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला एक तरह से केजरीवाल सरकार के लिए झटका है. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एके सीकरी और अशोक भूषण की बेंच में इस मामले की सुनवाई हुई, जहां दोनों जजों ने अलग-अलग बातें कहीं. जस्टिस सीकरी ने कहा है कि जॉइंट सेक्रटरी और उससे ऊपर के अधिकारियों के तबादले और नियुक्ति का अधिकार एलजी के पास रहेगा, जबकि ग्रेड 3,4 अधिकारियों के तबादले और नियुक्ति का अधिकार मुख्यमंत्री के पास रहेगा. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि मतभेद होने पर मामला राष्ट्रपति को जाएगा.
इस मामले की बुधवार को भी सुनवाई हुई थी. गुरुवार की सुनवाई में दिल्ली में पब्लिक सर्विस कमीशन को लेकर दोनों जजों ने अलग-अलग फैसले दिए. इस मामले में आपसी सहमति नहीं बनने के कारण मामले को लार्जर बेंच के पास भेजने का फैसला किया गया है. सुप्रीम मालूम हो कि दिल्ली के सीएम लंबे समय से कुछ महत्वपूर्ण फैसलों को लेकर उन्हें अधिकार दिए जाने की मांग कर रहे थे और एलजी पर आरोप लगा रहे थे कि वे उन्हें काम करने नहीं दे रहे हैं और महत्वपूर्ण मामलों में दखल दे रहे हैं. दिल्ली सरकार के अफसरों की ट्रांस्फर-पोस्टिंग और एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) के अधिकार क्षेत्र पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सीकरी और अशोक भूषण की बेंच के सुनाए फैसले की 10 बड़ी बातें:
जस्टिस एके सीकरी ने अपने फैसले में कहा कि न्यायसंगत व्यवस्था का बनना जरूरी है. उन्होंने कहा कि आईएएस की पोस्टिंग और ट्रांसफर का अधिकार एलजी को मिले, जबकि दानिक्स (दिल्ली अंडमान एंड निकोबार, आइसलैंड सिविल सर्विस) के पावर दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार के पास रहे.
जस्टिस सीकरी ने कहा कि सचिवों के मामले में एलजी के पास अधिकार हो और दानिक्स पर एलजी की सहमति से दिल्ली सरकार फैसले ले. उन्होंने कहा कि अगर विवाद की स्थिति बनती है तो मामला राष्ट्रपति के पास जाए.
जस्टिस ए के सीकरी ने कहा कि दानिक्स अधिकारियों के लिए सर्विस बोर्ड का गठन हो और अधिकारियों पर अनुशासनात्मक करवाई का अधिकार राष्ट्रपति के पास हो.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ग्रेड-1 और ग्रेड-2 के अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग केंद्र सरकार करेगी, जबकि ग्रेड-3 और ग्रेड-4 के अधिकारियों के तबादले और पोस्टिंग का मामला दिल्ली सरकार के अधीन होगा. दिल्ली सरकार के पास अधिकार है कि वो स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर नियुक्त कर सकती है.
जस्टिस सीकरी ने कहा कि एंटी-करप्शन ब्यूरो (एसीबी) का नियंत्रण केंद्र के पास रहे, क्योंकि पुलिस की शक्ति गृह मंत्रालय के पास है.
जस्टिस सीकरी का फैसला दिल्ली सरकार के लिए झटके जैसा है. उन्होंने कहा कि एसीबी केंद्र सरकार के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकती. ऐसा कहते हुए उन्होंने एसीबी को लेकर हाई कोर्ट के फैसले में सुप्रीम मुहर लगा दी.
जस्टिस सीकरी ने कहा कि इलेक्ट्रिसिटी से जुड़े अधिकार दिल्ली सरकार के पास हों. उन्होंने कहा कि कृषि भूमि को दर से जुड़े फैसले का अधिकार दिल्ली सरकार के पास हो, लेकिन इसमें भी एलजी की सहमति जरूरी है.
जस्टिस सीकरी के मुताबिक, दिल्ली सरकार डायरेक्टर की नियुक्ति कर सकते है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि अगर दिल्ली सरकार और एलजी में मतभेद हो तो मामला राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा.
जस्टिस अशोक भूषण ने कहा मेरी नजर में फैसला संविधान पीठ के फैसले के मुताबिक होना चाहिए. मालूम हो कि संविधान पीठ ने दिल्ली को UT (संघसाशित क्षेत्र) कहा था.
मालूम हो कि जस्टिस एके सीकरी की अगुआई वाली बेंच अफसरों की पोस्टिंग और ट्रांसफर, ऐंटी-करप्शन ब्यूरो, सरकारी सेवा आदि पर कायम गतिरोध को दूर करने के लिए याचिकाएं दाखिल की गई थीं. इससे पहले कोर्ट ने पिछले साल अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. अब इस मामले की सुनवाई तीन जजों की बेंच करेगी.
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