नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। सभी पार्टियां अपने-अपने उम्मीदवारों को जिताने लिए सियासी मैदान में है। मुफ्त की रेवड़ी बांटी जा रही तो कोई युमना साफ़ करने की बात कर रहा। दिल्ली में गंदगियों का पहाड़ भी है लेकिन क्या आपको पता है कि प्रदूषित-झुग्गी वालों से भरी दिल्ली एक समय में लंदन-पेरिस से भी ज्यादा अमीर थी। यह दुनिया के सबसे बड़े और अमीर शहरों में था। दिल्ली के पास इतना अकूत पैसा था कि नादिर शाह 58 दिनों तक इसे लूटता रह गया था। आज बात करेंगे उस घटना के बारे में जिसने भारत के इतिहास को बदल कर रख दिया। दिल्ली पर मुस्लिमों का कब्ज़ा हो गया।
पृथ्वीराज ने कर दी गलती
1177 ईस्वी में पृथ्वीराज चौहान तृतीय ने दिल्ली की गद्दी संभाली थी। उस समय अफगानिस्तान के गोर में शहाबुद्दीन उर्फ मोहम्मद गोरी का राज था। लाहौर, पेशावर और सियालकोट जीतने के बाद उसकी नजर दिल्ली पर टिक गई। मोहम्मद गोरी जब भारत आया तो उसका मुकाबला 1191 में तराइन के युद्ध में पृथ्वीराज चौहान से हुआ। पृथ्वी राज ने इस युद्ध में गोरी की सेना को तहस-नहस कर दिया। गोरी अपनी बची हुई सेना लेकर भाग खड़ा हुआ। पृथ्वी राज ने उसे जाने दिया जो बाद में बड़ी ऐतिहासिक भूल साबित हुई। पृथ्वीराज की एक चूक ने भारत के इतिहास को बदल कर रख दिया और हमें मुस्लिम शासकों ने अधीन रहना पड़ा। 1192 में मोहम्मद गोरी ने दिल्ली पर फिर आक्रमण किया और पृथ्वीराज को हरा दिया। वो भारत के अंतिम स्वतंत्र हिन्दू सम्राट हुए।
हिन्दुओं का कराया धर्म परिवर्तन
दिल्ली सल्तनत में 5 प्रमुख वंश हुए जिसमें गुलाम वंश, खिलजी वंश, तुगलक वंश, सैय्यद वंश और लोदी वंश शामिल हैं। इसके बाद यहां मुगलों ने शासन किया। मुगलों की कई पीढ़ियों ने भारत पर राज किया। यहां की अकूत सम्पतियों को लूटा, हिन्दू राजकुमारियों को भोगा, बड़े स्तर पर हिन्दुओं का धर्म परिवर्तन कराया गया। नादिर शाह और तैमूर लंग के अत्याचार से त्रस्त हिंदू अपने भगवान को भूलकर अल्लाह की शहर में आ गए। अगर इस्लाम कबूल नहीं करते थे तो घरों से लड़कियों को उठा लिया जाता था।