गांधी जिस समय पोरबंदर और राजकोट में थे तो कुंठाओं से घिरे रहते थे। उनका स्वाभाव चिड़चिड़ा हो गया था। खुद को कमजोर और दब्बू समझने लगे थे। घर और बाहर उलटी-सीधी हरकतें करके खुद को अपराधबोध से दबाकर रखते थे।
नई दिल्ली। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी बचपन में मोहनदास के रूप में जाने जाते थे। उनका बचपन उतार-चढ़ाव से भरा हुआ था। कई बार ऐसा हुआ जब वो गलत संगति में पड़ गए। उन्होंने चोरियां भी कर रखी है, सिगरेट भी पी है। एक बार तो महात्मा गांधी वेश्या के पास चले गए। हैरानी की बात तो ये है कि गांधी ने यह कदम कस्तूरबा से शादी के बाद उठाया था।
गांधी जिस समय पोरबंदर और राजकोट में थे तो कुंठाओं से घिरे रहते थे। उनका स्वाभाव चिड़चिड़ा हो गया था। खुद को कमजोर और दब्बू समझने लगे थे। घर और बाहर उलटी-सीधी हरकतें करके खुद को अपराधबोध से दबाकर रखते थे। उसी समय में गांधी की दोस्ती मेहताब से हो गई। शेख मेहताब गांधीजी के बड़े भाई कर्णवदास का मित्र था। गांधी अपने मुस्लिम मित्र की निडरता देखकर प्रभावित हो गए। मेहताब के कहने पर मोहनदास वेश्यालय चले गए।
कोठे पर जाकर मेहताब खुद किसी वेश्या के साथ अलग कमरे में चले गए और 15 साल के गांधी को एक अन्य वेश्या के हवाले कर दिया। महिला के साथ एकांत में बैठकर गांधी के होश उड़ गए। वो एक कोने में जाकर डरे-सहमे बैठ गए। वेश्या ने जब मोहन दास को हाथ लगाया तो गांधी का पूरा शरीर कांपने लगा। थोड़ी देर तक महिला गांधी के पहन का इंतजार करती रही जब देखा कि वो आगे नहीं बढ़ रहे हैं तो भड़क गई। इसके बाद उसने मोहन दास को धक्के देकर भगा दिया।
(Source: The Life and death of Mahatma Gandhi by Robert Payne)
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