नई दिल्ली. प्रसिद्ध खाद्य उत्पाद कंपनी नेस्ले ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में स्वीकार किया कि मैगी में सीसा (लेड) था. सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को चली सुनवाई के दौरान नेस्ले के वकील ने इस बात की पुष्टि की. कंपनी के वकील का यह स्वीकार करना नेस्ले के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. बता दें कि भारतीय बाजार में नेस्ले की मैगी वो खाद्य उत्पाद है, जो करोड़ों लोगों के दैनिक जीवन में शामिल है. साल 2017 में पहली बार मैगी में सीसा की मात्रा होने की जानकारी सामने आई थी. जिसके बाद सरकार ने इसे प्रतिबंधित कर दिया था. हालांकि नेस्ले ने सीसा की मात्रा होने की बाद का खंडन किया था.
मैगी में सीसा की मात्रा होने के बाद लोगों का भरोसा नेस्ले से टूट गया था. सरकार की ओर से बैन किये जाने के बाद नेस्ले को हजारों टन मैगी बर्बाद करना पड़ा था. साथ ही कंपनी की साख पर भी बड़ा प्रश्नचिन्ह खडा़ हो गया था. गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय में सरकार बनाम नेस्ले विवाद में हुई सुनवाई के दौरान कंपनी के वकील ने सीसा होने की बात स्वीकार की. इसके बाद इस विवाद के एक बार फिर तेज होने की आशंका जाहिर की जा रही है.
बता दें कि साल 2017 में एनसीडीआरसी (NATIONAL CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION) ने नेस्ले के खिलाफ मुकदमा किया था. उस समय नेस्ले पर स्वास्थ्य संबंदी मापदंडों को पूरा नहीं करने का आरोप लगा था. जिसके बाद मैगी को बैन किया गया था. गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान न्यायधीश ने नेस्ले के वकील से सवाल करते हुए पूछा कि लेड की मौजूदगी वाला नूडल क्यों खाना चाहिए.
बताते चले कि नेस्ले ने विज्ञापन के जरिए भारतीय बाजार पर अपनी पकड़ मजबूत की थी. मैगी के विज्ञापन में मां का प्यार शब्द का भी प्रयोग किया गया था. बच्चें समेत बैचलर लाइफ जी रहे लोगों के लिए मैगी पसंदीदा खाद्य उत्पाद मानी जाती है. इसे बहुत कम समय में बनाया जाता है. जो इसकी सबसे बड़ी खासियत है.
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