अहमदाबाद: गाँधीनगर कोर्ट ने आसाराम बापू को महिला अनुयायी से रेप के मामले में दोषी करार दिया है। आसाराम बापू को अगस्त 2013 में इंदौर में गिरफ्तार किया गया था और बाद में जोधपुर ले जाया गया था। आसाराम को गाँधीनगर सत्र न्यायालय ने साल 2013 में सूरत की दो बहनों के साथ बलात्कार का […]
अहमदाबाद: गाँधीनगर कोर्ट ने आसाराम बापू को महिला अनुयायी से रेप के मामले में दोषी करार दिया है। आसाराम बापू को अगस्त 2013 में इंदौर में गिरफ्तार किया गया था और बाद में जोधपुर ले जाया गया था। आसाराम को गाँधीनगर सत्र न्यायालय ने साल 2013 में सूरत की दो बहनों के साथ बलात्कार का दोषी ठहराया था। इससे पहले केरल में एक मदरसा शिक्षक को भी एक अदालत ने तीन बार आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, जिसमें उसे अपनी बेटी के साथ बार-बार बलात्कार करने का दोषी पाया गया था।
आसाराम को दो बार आजीवन कारावास और मदरसे के शिक्षक को तीन बार उम्रकैद की सजा सुनाई गई। ऐसे में सबके मन में एक सवाल आता है कि उम्रकैद तो उम्रकैद होती है तो उम्रकैद की सजा दो-तीन बार क्यों सुनाई गई? आइए विस्तार से समझते हैं कि उम्र कैद कितने दिन की सज़ा होती है? और इसमें अपराधी अपनी सजा कैसे काटता है?
भारत में उम्रकैद की सजा कितनी है? इसका सीधा जवाब शायद कोई नहीं दे पाएगा। आपने भी अलग-अलग मामलों में अलग-अलग उम्रकैद की सजा के बारे में सुना होगा। कभी वह 14 वर्ष की होती है तो कभी 20 वर्ष की। लेकिन आपको बता दें, उम्रकैद मलतब मरते दम तक जेल में रहने से ही होता है, हालाँकि आईपीसी की धारा 55 के अनुसार अपराध की गंभीरता, अपराधी का आचरण, आपराधिक रिकॉर्ड और विभिन्न मामलों में अपराधी की प्रवृत्ति को देखकर कम या बढ़ाया जा सकता है। विचारधीन राज्य सरकार या केंद्र सरकार को सजा कम करने का अधिकार है।
आजीवन कारावास की न्यूनतम सजा 14 साल हो सकती है, लेकिन कम नहीं की जा सकती। इसका उल्लेख सीआरपीसी की धारा 433-ए में किया गया था। यदि सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया जाता है और दोषी ने इसे पूरा कर लिया है, तो रिहा होना या नहीं होना अपराधी के चरित्र और आचरण पर निर्भर करता है। आजीवन कारावास का अर्थ है आजीवन कारावास, लेकिन अलग-अलग राज्यों में, 14 से 20 साल की सजा पूरी करने के बाद अपराधी की शेष सजा माफ कर दी जाती है, इस प्रक्रिया को परिहार कहा जाता है। कुछ मामले ऐसे भी होते हैं जिनमें अदालत सजा सुनाते समय यह कहती है कि दोषी को अपनी मृत्यु तक जेल में रहना होगा। ऐसे में अपराधी की सजा कम नहीं होती।
यदि किसी व्यक्ति को अलग-अलग मामलों में दो या तीन बार आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है, तो उसे इन तीनों सजाओं को अलग-अलग पूरा करना होगा, उदाहरण के लिए एक बार में अपराध की सजा एक बार ही गिनी जाएगी। अगर मदरसे के शिक्षक के मामले की बात करें तो उसे तीनों सजाएं एक ही समय में काटनी होंगी। सुप्रीम कोर्ट के एक वकील कुमार आंजनेया सानू के मुताबिक, मदरसे के शिक्षक के मामले में पुलिस ने तीन ऐसी धाराएं लगाई थीं, जिनमें उम्रकैद की सजा का प्रावधान है. अदालत ने आरोपी को तीनों धाराओं में दोषी पाया और सजा सुनाई। अदालत ने फैसले में उल्लेख किया कि दोषी व्यक्ति को अपना शेष जीवन जेल में बिताना होगा। यही कारण है कि आरोपी को सरकार से भी माफी नहीं मिलेगी।