मुंबई. भारतीय सिनेमा की स्वर कोकिला लता मंगेशकर Lata Mangeshkar का निधन हो गया है। लेकिन उनकी जादूई आवाज सदियों तक उन्हें जिंदा रखेगी। लता जी का गायन कुछ ऐसा था कि हर जज्बा और हर भाव मानों जीवंत हो उठता था। उनकी आवाज सुनने वाले के सीधे दिल में उतर जाया करती थी। देश के पूर्व प्रधानंत्री जवाहर लाल नेहरू Jawahar lal nehru तो लता जी का गाया गाना सुनकर रोने तक लगे थे।
पंडित नेहरू के बारे में प्रसिद्ध था कि वे बहुत कम रोते हैं। विशेषकर सार्वजनिक तौर पर, उन्हें किसी का भी रोना पसंद नही था। लेकिन 27 जनवरी 1963 को, एक कार्यक्रम के दौरान लता मंगेशकर ने ऐसा गाना गाया कि पंडितजी की आँखें भर आईं। ये गाना था कवि प्रदीप का लिखा हुआ ‘ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आँख में भर लो पानी’। इस गाने के बाद नेहरू जी ने लता को सीने से लगाकर शाबाशी दी थी।
साल 1964 में पंडित नेहरू एक अन्य कार्यक्रम में हिस्सा लेने मुंबई पहुंचे। उनके सामने स्टेज पर स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने फिल्म आरज़ू का गीत ‘अजी रूठ कर कहाँ जाएंगे’ गाकर प्रस्तुति दी। लेकिन नेहरू जी की यादों में अभी तक वही देशभक्ति गीत गूंज रहा था। उन्होंने लताजी के पास एक चिट लिखकर भेजी, जिसमें ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ सुनने की फ़रमाइश की गई थी। लता जी ने उनकी मांग को पूरा किया था।
‘ऐ मेरे वतन के लोगों, गीत को म्यूजिक कंपनी एचएमवी ने रिकार्ड समय में तैयार कराया और बाजार में उतार दिया। देखते ही देखते ये गाना एक तरह का ‘नैशनल रेज’ बन गया। पंडित नेहरू ने तो इस गाने के बारे में यहां तक कह दिया था कि अगर कोई ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ से प्रभावित नहीं होता, तो वह सच्चा हिन्दुस्तानी नहीं है।
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