38 साल पहले शहीद हुए लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला का हुआ अंतिम संस्कार, बेटियों ने दी मुखाग्नि

लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला: देहरादून। सियाचिन ग्लेशियर में पेट्रोलिंग के दौरान 38 साल पहले शहीद हुए लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला का बुधवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। बता दें कि सियाचिन ग्लेशियर में लापता होने के 38 साल बाद एक पुराने बंकर में मिले लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला के पार्थिव […]

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38 साल पहले शहीद हुए लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला का हुआ अंतिम संस्कार, बेटियों ने दी मुखाग्नि

Vaibhav Mishra

  • August 18, 2022 8:30 am Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला:

देहरादून। सियाचिन ग्लेशियर में पेट्रोलिंग के दौरान 38 साल पहले शहीद हुए लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला का बुधवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। बता दें कि सियाचिन ग्लेशियर में लापता होने के 38 साल बाद एक पुराने बंकर में मिले लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला के पार्थिव शरीर को उत्तराखंड के हल्द्वानी में स्थित उनके आवास पर लाया गया।

सीएम धामी ने दी श्रद्धांजलि

उत्तराखंड के हल्द्वानी में लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला के पार्थिव शरीर को देखने के लिए भारी संख्या में लोग इकट्ठा हुए। इस बीच सीएम पुष्कर सिंह धामी समेत कई नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, रेखा आर्य, विधानसभा में विपक्ष के नेता यशपाल आर्य के अलावा कई सैन्य अधिकारियों ने शहीद चंद्रशेखर हरबोला को श्रद्धांजलि दी।

दोनों बेटियों ने दी मुखाग्नि

चंद्रशेखर हरबोला के पार्थिव शरीर को उनके घर से रानीबाग के चित्रशिला घाट ले जाया गया। इस दौरान लोगों की भीड़ ने देशभक्ति के नारे लगाए और अपनी ओर से उन्हें श्रद्धांजलि दी। शहीद हरबोला के दोनों बेटियों ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला के बलिदान को हमेशा याद रखा जाएगा और उनके परिवार की सरकार हर संभव मदद करेगी।

‘ऑपरेशन मेघदूत’ का थे हिस्सा

गौरतलब है कि 1984 में ‘ऑपरेशन मेघदूत’ में लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला को 20 सदस्यीय टुकड़ी का हिस्सा बनाया गया था। उन्हें पाकिस्तान से लड़ने के लिए दुनिया के सबसे ऊंचे रणक्षेत्र में भेजा गया था। इसी दौरान सियाचिन ग्लेशियर में आए एवलांच में टीम के सभी सदस्य लापता हो गए। जिसके बाद सिर्फ 15 सैनिकों के शव ही बरामद किए जा सके थे। पांच सैनिकों के शव नहीं मिले थे, चंद्रशेखर हरबोला उनमें से एक थे।

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