नई दिल्ली. इस साल जनवरी में हुई भीमा कोरेगांव हिंसा को लेकर पुणे पुलिस ने बीते मंगलवार को अलग- अलग राज्यों में छापेमारी कर 5 एक्टिविस्टों को गिरफ्तार किया गया और बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में इस गिरफ्तारी के मामले की सुनवाई होनी है. इसको लेकर विपक्षी दल केंद्र सरकार पर हमलावर हो गए. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने कहा है कि ‘यह देश तानाशाही की ओर बढ़ रहा है. पांच बुद्धिजीवियों की गिरफ्तारी से पता चलता है कि देश आपातकाल की राह पर है और मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं.’
बता दें कि गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, स्टेन स्वामी, अरुण फरेरा, वरनॉन गोंजाल्विस और आनंद तेलतुंबडे की गिरफ्तारी के बाद लेखिका अरुंधति रॉय ने कहा था कि सरकार मॉब लिंचिंग करने वालों को पकड़ने की जगह लेखकों कवियों और वकीलों को पकड़ रही है. ऐसा लग रहा मानो ये स्थिति इमरजेंसी की तरह है.
बता दें कि साल 2017 में 29 दिसंबर को वडू गांव में दलितों के गोविंद महाराज की समाधि पर पुणे के अचानक हमला हुआ था. जिसके बाद इस साल जनवरी में दलित समाज के लोग पुणे के भीमा कोरेगांव में शौर्य दिवस मनाने जुटे थ. इस बीच दलितों और सवर्णों के बीच हिंसा भड़क गई और 1 व्यक्ति की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गए थे.
भीमा-कोरेगांव हिंसाः दिल्ली हाईकोर्ट ने गौतम नवलखा को दिल्ली से बाहर ले जाने पर रोक लगाई
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