नई दिल्ली: आज यानी 2 अक्टूबर का दिन भारत के लिए खास है क्योंकि आज ही के दिन देश को गौरान्वित करने वाले दो महान पुरुषों का जन्म हुआ था। एक महात्मा गांधी जिनका जन्म 1869 में हुआ था और दूसरे देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जिनका जन्म 1904 में हुआ था। देश को ‘जय जवान जय किसान’ का नारा देने वाले शास्त्री जी को लोग उनकी सादगी और विनम्रता के लिए बहुत पसंद करते थे। साल 1965 का भारत- पाकिस्तान का युद्ध उनके कार्यकाल की बड़ी घटनाओं में से एक था। आज हम आपको बताएंगे कि कैसे उन्होंने 10 मिनट में लाहौर पर कब्जा करने का मास्टर प्लान बनाया था।
यह सितंबर 1965 में जम्मू-कश्मीर में हालात फिर से बिगड़ रहे थे। आधी रात को आर्मी चीफ ने प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री से मिलने का समय मांगा। शास्त्री जी और आर्मी चीफ की आधी रात को मुलाकात हुई। इस दौरान आर्मी चीफ ने लाल बहादुर शास्त्री से कहा कि अब हमें कड़ा फैसला लेना होगा और पाकिस्तान को जवाब देना होगा। इस पर शास्त्री जी उनसे पूछते हैं कि फिर आप ऐसा क्यों नहीं करते?
इसके जवाब में आर्मी चीफ कहते हैं कि अब हमें दूसरी तरफ जवाबी मोर्चा खोलना होगा और दूसरी तरफ से पाकिस्तान को घेरना होगा। सेना को लाहौर की तरफ भेजना होगा। यह अंतरराष्ट्रीय सीमा है और इसे पार करना होगा। इसके जवाब में शास्त्री जी कहते हैं कि घुसपैठिए कश्मीर में घुस आए थे, वह भी अंतरराष्ट्रीय सीमा थी, आप सेना को लाहौर की तरफ ले जाएं और सीमा पार करें। मैं जानता हूं इसका क्या मतलब है और इसीलिए मैं आपसे ऐसा करने के लिए कह रहा हूं।
पंजाब और राजस्थान से पाकिस्तान में घुसने के फैसले के बाद इस युद्ध की दिशा बदल गई। 7 से 20 सितंबर तक सियालकोट में भीषण युद्ध हुआ। सेना पाकिस्तान के पंजाब में घुसकर लाहौर के करीब पहुंच गई। ज्यादातर इलाके पर कब्जा कर लिया गया। आखिरकार संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप के बाद 20 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में युद्ध विराम का प्रस्ताव पारित हुआ।
अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे झुकते हुए पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने पाकिस्तान रेडियो पर युद्ध विराम की घोषणा की और कहा कि गोलीबारी बंद कर दी जाए। इसी बीच लाल बहादुर शास्त्री ने भी युद्ध समाप्ति की घोषणा कर दी। दोनों देशों के बीच युद्ध विराम तो हुआ लेकिन शास्त्री के नेतृत्व में पाकिस्तान की 710 वर्ग किलोमीटर जमीन अभी भी भारत के कब्जे में थी। यह दिल्ली की आधी जमीन थी और लाहौर पर कब्जा करना मिनटों की बात थी।
लाहौर पर कब्जा न करना भी एक बड़ा फैसला था। इस पर आज भी बहस होती है। उस समय शास्त्री जी ने रामलीला मैदान से कहा था, “अयूब ने घोषणा की थी कि वह पैदल चलकर दिल्ली पहुंचेंगे। वह बहुत बड़े आदमी हैं। मैंने सोचा कि उन्हें दिल्ली पहुंचने का कष्ट क्यों दिया जाए, हमें लाहौर जाकर उनका स्वागत करना चाहिए।”
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