नई दिल्ली: लद्दाख के इस कपकपाती ठंड में राज्य के दर्जे और संवैधानिक सुरक्षा को लेकर एक बार फिर भारी विरोध हो रहा है। करीब हजारों की संख्या में लोग इस मांग के साथ इकठ्ठा हुए हैं, इनमें कई महिलाएं भी शामिल हैं। यही कारण है कि इस समय पूरे लद्दाख में बंद जैसी स्थिती […]
नई दिल्ली: लद्दाख के इस कपकपाती ठंड में राज्य के दर्जे और संवैधानिक सुरक्षा को लेकर एक बार फिर भारी विरोध हो रहा है। करीब हजारों की संख्या में लोग इस मांग के साथ इकठ्ठा हुए हैं, इनमें कई महिलाएं भी शामिल हैं। यही कारण है कि इस समय पूरे लद्दाख में बंद जैसी स्थिती देखने को मिल रही है। जानकारी दे दें कि बंद का आयोजन एपैक्स बॉडी ऑफ लद्दाख और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस की तरफ से बुलाया(Ladakh Protest) गया था। इस हफ्ते की शुरुआत में ही प्रदर्शन का ऐलान किया गया था।
बता दें कि 5 अगस्त साल 2019 को भारतीय संसद ने संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करते हुए जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष राज्य के दर्जे को समाप्त कर दिया था। उस समय जम्मू कश्मीर से लद्दाख को अलग करते हुए, दोनों(जम्मू कश्मीर और लद्दाख) को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। जब जम्मू-कश्मीर विधानसभा वाला केंद्रशासित प्रदेश बना, तो वहीं लद्दाख को बिना विधानसभा वाला केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया था। हालांकि पहले तो इस विभाजन से लद्दाख की आवाम खुश थी,उस समय लोगों को उम्मीद थी कि इस तरह का कदम उनकी भूमि और आजीविका की रक्षा करेगा। दरअसल,अब लेह और कारगिल के निवासियों ने राजनीतिक रूप से खुद को हाशिए पर खड़ा महसूस किया है। यही कारण है केंद्र सरकार के खिलाफ सामूहिक विद्रोह का। इस दौरान बीते दो साल(Ladakh Protest) में लोग कई बार विरोध प्रदर्शन कर पूर्ण राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा मांगते रहे हैं।
जानकारी दे दें कि सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे लोगों की तीन मांगे हैं। उनकी पहली मांग लद्दाख को पूर्ण राज्य बनाया जाए, दूसरी मांग संविधान की छठी अनुसूची यानी सिक्स्थ शेड्यूल को लागू किया जाए। क्योंकि छठी अनुसूची के तहत जनजातीय क्षेत्रों में स्वायत्त जिले बनाने का प्रावधान है, वहां पर भी कई तरह की जनजातियां रहती हैं, इस कारण यह मांग ज्यादा उठायी जा रही है और तीसरी मांग यह है कि लेह – कारगिल जिलों के लिए अलग-अलग संसदीय सीट को स्थापित करना। इस दौरान इन दोनों दलों के प्रतिनिधियों को सरकार के तरफ से आश्वासन भी मिला था। उन्होंने कहा था कि इस मुद्दे पर दूसरे दौर की बातचीत होगी। जिसके बाद भी लद्दाख में शटडाउन जारी रहा। बता दें कि केंद्र ने पहले ही लद्दाख के लोगों की मांगें पूरी करने के लिए एक हाई लेवल कमिटी बनाई है और इसकी अध्यक्षता गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय के पास है।
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