कर्णन लगातार सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रहे थे. सजा सुनाए जाने के बाद भी वे लगभग महीने भर पुलिस को छकाते रहे. सुप्रीम कोर्ट की बैंच ने पश्चिम बंगाल के डीजीपी को उनको गिरफ्तार करने के आदेश जारी किए थे.
कोलकाता. सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ बगावती सुर अपनाने वाले कोलकाता हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस सीएस कर्णन आज जेल से रिहा हो गए हैं. कर्णन को छह महीने की सजा पूरी होने के बाद रिहा किया जा रहा है. जस्टिस कर्णन को सुप्रीम कोर्ट ने न्यायालय एवं न्याय प्रक्रिया की अवमानना का दोषी मानते हुए छह महीने की सजा सुनाई थी. इसके साथ ही जस्टिस कर्णन जेल की सजा पाने वाले पहले सिटिंग जज बन गए थे.
कर्णन लगातार सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रहे थे. सजा सुनाए जाने के बाद भी वे लगभग महीने भर पुलिस को छकाते रहे. सुप्रीम कोर्ट की बैंच ने पश्चिम बंगाल के डीजीपी को उनको गिरफ्तार करने के आदेश जारी किए थे. काफी मशक्कत के बाद पुलिस ने उन्हें 20 जून को कोयंबटूर से गिरफ्तार किया था. इसके बाद उनके वकील ने जमानत की अर्जी कोर्ट में दाखिल की, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया था. कर्णन की रिहाई की खबर पर उनकी पत्नी सरस्वती कर्णन ने समाचार एजेंसी को बताया कि वे अपने पति को लेने कोलकाता आएंगी. इसके बाद वे दोनों चेन्नई वापस हो जाएंगे. जस्टिस कर्णन की पत्नी सरस्वती चेन्नई में इकॉनॉमिक्स की प्रोफेसर हैं.
सुप्रीम कोर्ट के सात न्यायधीशों की बैंच ने कर्णन को न्यायालय की अवमानना का दोषी मानते हुए नौ मई को छह महीने की सजा सुनाई थी. इसके साथ ही उनके बयानों के मीडिया में प्रकाशन पर भी रोक लगा दी थी. उस वक्त वे कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश थे. वे काफी समय से सुप्रीम कोर्ट को चुनौती दे रहे थे. जस्टिस कर्णन तमिलनाडु बार काउंसिल में एक वकील के तौर पर 1983 में एनरॉल हुए थे. 2009 में वे मद्रास हाई कोर्ट में जज के बने. इसके बाद 11 मार्च 2016 को उनका ट्रांसफर कलकत्ता हाईकोर्ट में हो गया. मद्रास हाईकोर्ट में रहते उन्होंने अपने साथियों पर बार- बार भेदभाव का आरोप लगाया था. इसके बाद उनका ट्रांसफर कलकत्ता हाईकोर्ट में कर दिया गया.
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