जयपुर: राजस्थान के अन्य जिलों के साथ टोंक में भी होली का त्योहार मनाने को लेकर कुछ अनोखी परंपराए हैं. इन जगहों पर त्योहारों में शामिल होकर लोग उत्साह और रोमांच का लुफ्त उठाते हैं. वृंदावन, बरसाना की कोड़ामार होली की तर्ज पर टोंक जिले के नवाबी नगरी में भी कोड़ामार होली का रोमांच हर […]
जयपुर: राजस्थान के अन्य जिलों के साथ टोंक में भी होली का त्योहार मनाने को लेकर कुछ अनोखी परंपराए हैं. इन जगहों पर त्योहारों में शामिल होकर लोग उत्साह और रोमांच का लुफ्त उठाते हैं. वृंदावन, बरसाना की कोड़ामार होली की तर्ज पर टोंक जिले के नवाबी नगरी में भी कोड़ामार होली का रोमांच हर साल धूलंडी पर नज़र आता है. इस अनोखी होली का आनंद न सिर्फ कोड़ा मारने वाली महिलाएं लेती हैं, बल्कि वहां मौजूद कई लोग भी इसका आनंद लेते हैं. होली और धूलंडी पर टोंक की कोड़ामार होली बेहद खास और मशहूर है.
दरअसल भारी-भरकम कड़ाव में भरे रंग को बाल्टी और बर्तनों में भरकर ले जाते लोगों को कोड़े मारने की यह परंपरा गुर्जर समाज की ओर से आयोजित हुई है. जिसको देखने और इसका मज़ा लेने हीरा चौक क्षेत्र ही नहीं शहर भर से लोग खास तौर पर गुर्जर समाज के लोग पहुंचते हैं. वहीं होली के मौके पर जिला मुख्यालय के पुरानी टोंक पर हीरा चौक गुर्जर समाज की कोड़ामार होली के लिए जाना जाता है. यहां गुर्जर समाज बरसों से कोड़ामार होली का आयोजन करता आ रहा है. कोड़ामार होली को देखने के लिए हज़ारों की तादात में भीड़ इकठ्ठा होती है.
जानकारी के मुताबिक, हीरा चौक में एक बड़े लोहे के कड़ाव में पानी भरकर इसमें रंग डाला जाता है. फिर इस कड़ाव से रंग लेने के लिए इस समाज के पुरुष आगे आते हैं और महिलाएं रंग से भरे कड़ाव की रक्षा करती हैं. साथ ही साथ महिलाएं रंग भरने वाले युवक को पानी से भीगे कोड़े मारकर उनसे स्वागत करती हैं. इसी बीच कोड़ा मारने वाली महिलाएं और कोड़ा खाने वाले युवक रोमांचित होते हैं और इसका जमकर लुफ्त उठाते है.
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