अयोध्या। सनातन धर्म की आस्था उसके त्योहारों में कार्यक्रमों में देखने को मिलती रहती है. अभी पितृपक्ष चल रहा है जिसमें लोग पितृदोष को दूर करने के लिए पितरों का पिंड दान करते हैं ताकि उनको पितरों का आशीर्वाद मिल सकें और चल रहें दोषों को दूर कर सकें. मगर पितृपक्ष के दिन कोई भी […]
अयोध्या। सनातन धर्म की आस्था उसके त्योहारों में कार्यक्रमों में देखने को मिलती रहती है. अभी पितृपक्ष चल रहा है जिसमें लोग पितृदोष को दूर करने के लिए पितरों का पिंड दान करते हैं ताकि उनको पितरों का आशीर्वाद मिल सकें और चल रहें दोषों को दूर कर सकें. मगर पितृपक्ष के दिन कोई भी शुभ और मंगल कार्य नहीं किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृ अपने परिवारजनों के बीच में आते हैं और 15 दिनों तक यहां रहते हैं. मगर क्या आपको पता है कि पितृपक्ष के केवल 15 ही दिन क्यों होते हैं, 10 या 30 दिन क्यों नहीं होते। आइए जानते है क्या है इन 15 दिनों का राज़।
क्या कहता हैं ज्योतिषशास्त्र
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा माना जाता है कि जिस किसी भी व्यक्ति के परिजनों की मृत्यु हो जाती है वो चाहे पुरुष हो या महिला हो या अविवाहित हो या बच्चा हो या बुजुर्ग। जिस किसी का भी मृत्यु होने के बाद उन्हें पितृ कहां जाता है. मान्यताओं के अनुसार यमराज 15 दिनों के लिए मृतक की आत्मा को मुक्त कर देते हैं , ऐसा माना जाता है जब व्यक्ति की मृत्यु होती है तो शरीर से आत्मा को 15 दिनों के लिए उसके घर और परिवार जनों के पास ही छोड़ दी जाती है. तभी मृत्यु हो जाने के बाद 13 से 15 दिनों का शोक रखा जाता है जिसमें विधि के अनुसार कार्य होते हैं।
पिंड दान से होती है पितरो को मोक्ष प्राप्ति
धार्मिक मान्यता के अनुसार पितरों को प्रसन्न करने के लिए तरह तरह के उपाय किए जाते हैं. पिंड दान किया जाता है तथा बहुत से लोग जल में काले तिल डालकर पितरों को अर्घ्य देते हैं और उनका पसंदीदा भोजन का भी भोग लगाया जाता है. साथ ही कौओं को भी भोजन पानी दिया जाता है. ऐसा करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और पितृ दोष से भी छुटकारा मिलता है।