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Jet Airways Naresh Goyal Anita Goyal Resigns: जेट एयरवेज के डूबने की कहानी, ऐसा क्या हुआ कि एयरलाइंस से नरेश गोयल को इस्तीफा देना पड़ा

नई दिल्ली. आर्थिक संकट से जूझ रही भारत की प्रमुख एयरलाइन कंपनी जेट एयरवेज के फाउंडर और चेयरमैन नरेश गोयल ने अपनी पत्नी अनीता गोयल के साथ कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स से इस्तीफा दे दिया है. अब घाटे में चल रही इस कंपनी को लेनदार संभालेंगे. पिछले एक साल से भी ज्यादा समय से यह एयरलाइंस कंपनी घाटे में चल रही थी. कंपनी के टॉप मैनेजमेंट में इस घाटे से उबरने के लिए कई जतन किए लेकिन खुद को फिर से खड़ा नहीं कर पाई. विदेशी बाजार में तेल की बढ़ती कीमतों, डॉलर के मुकाबले रुपये के कमजोर होने और एयरलाइन मार्केट में बढ़ती प्रतिस्पर्धा जैसे कई कारण हैं कि जेट एयरवेज की हालत आज इस स्थिति में पहुंच गई है. आइए जानते हैं कि कभी देश की सबसे अग्रिम एयरलाइन्स रही जेट एयरवेज को क्यों इतना घाटा हुआ और जिस व्यक्ति ने इस कंपनी को खड़ा किया उसे क्यों अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा.

ये है जेट एयरवेज की कहानी-

दस साल पहले की बात करें तो जेट एयरवेज भारत की सबसे लीडिंग एयरलाइन्स में से एक थी. साल 1993 में नरेश गोयल और उनकी पत्नी अनिता गोयल ने मिलकर जेट एयरवेज को खड़ा किया था. इसके बाद करीब 15 साल तक इस एयरलाइन्स ने खूब मुनाफा कमाया. 2017 तक भी इसकी हालत इतनी बुरी नहीं थी कि बंद होने के कगार पर पहुंच जाए. लेकिन 2018 में जेट एयरवेज की आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गई कि अपने पायलट, एयर हॉस्टेस और ग्राउंड स्टाफ की सैलरी तक चुकाने के लिए कंपनी के पास पैसे नहीं बचे थे.

 

हालांकि फिर भी उस दौरान एयरलाइन्स ने अपने कर्मचारियों को यह दिलासा दिलाई कि वे सहयोग करें तो जेट एयरवेज पहले की तरह पटरी पर आ जाएगी. कर्मचारियों ने सहयोग भी किया लेकिन कंपनी की माली हालत फर्श से अर्श तक नहीं पहुंच पाई.

साल 2019 आते-आते वेंडरों को पैमेंट नहीं मिलने के चलते जेट एयरवेज को अपने 40 से ज्यादा विमान एयरपोर्ट पर खड़े करने पड़े. कंपनी वेंडरों को पैसे तक नहीं चुका पा रही है, जिससे इन विमानों का परिचालन बंद करना पड़ा. इससे यात्रियों को भी खासी परेशानी का सामना करना पड़ा. जिन लोगों ने जेट एयरवेज की फ्लाइ में टिकट बुक कराए थे, उनका टिकट कैंसिल कर दिया गया.

जेट एयरवेज के डूबने की कगार तक पहुंचने के क्या कारण हैं?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जेट एयरवेज के डूबने की कगार पर पहुंचने का सबसे बड़ा कारण यह है कि वह खुद को वर्तमान की परिस्थितियों के हिसाब से नहीं ढाल पाई. वर्तमान में कई एयरलाइन्स कंपनियां भारत और अन्य देशों में अपने विमान संचालित कर रही हैं. इससे एयरलाइन्स मार्केट में प्रतिस्पर्धा काफी बढ़ गई है. जिससे वह चाह कर भी एयर टिकटों के दामों में वृद्धि नहीं कर सकती है. उसे मार्केट रेट के हिसाब से ही चलना होगा.

दूसरी ओर एक एयरलाइन्स कंपनी का करीब आधा पैसा विमान में इस्तेमाल किए जाने वाले फ्यूल में खर्च होता है. कच्चे तेल के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार में कम तो हुए लेकिन सरकारी टैक्स की वजह से इसका फायदा एविएशन इंडस्ट्री को नहीं हुआ. नतीजतन एयरलाइन्स कंपनियों का तेल का खर्चा बढ़ता ही गया. इसका असर जेट एयरवेज पर भी हुआ.

 

एक कारण यह भी बताया जा रहा है कि डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा कमजोर हुई है. एयरलाइन कंपनियों को हवाई जहाज खरीदने, जहाज पर लोन लेने और अन्य विदेशी खर्चों के लिए ज्यादा पैसा चुकाना पड़ रहा है. जिससे उनका ज्यादा से ज्यादा धन विदेशों में जा रहा है. इसका असर भी जेट एयरवेज की आर्थिक स्थिति पर बखूबी रूप से पड़ा.

अब आगे क्या होगा?

कर्ज में डूबी जेट एयरवेज को कर्जदारों बैंकों ने सभी कर्जदाताओं के साथ मिलकर ऋणशोधन की प्रक्रिया अपनाई. बैंकों ने तय किया कि चेयरमैन कंपनी में अपनी हिस्सेदारी घटाए और जिससे कर्ज चुकता हो सके. सोमवार को कंपनी की बोर्ड बैठक में फाउंडर और चेयरमैन नरेश गोयल और उनकी पत्नी अनीता गोयल ने इस्तीफा दे दिया.

 

इस्तीफे के बाद उनकी हिस्सेदारी के करीब 1500 करोड़ रुपये कंपनी को मिले हैं. नरेश गोयल की हिस्सेदारी घटकर आधी हो गई है. बताया जा रहा है कि वर्तमान में कंपनी पर करीब 8,000 करोड़ रुपये का कर्ज चढ़ा हुआ है. हालांकि अभी तक कंपनी को नए निवेशक नहीं मिले हैं. यदि नए निवेशक मिलते हैं तो जेट एयरवेज की आर्थिक हालत में सुधार आ सकता है.

Naresh Goyal Anita Goyal exit from Jet Airways: आर्थिक संकट से जूझ रहे जेट एयरवेज के बोर्ड से नरेश गोयल और अनीता गोयल का इस्तीफा, देनदारों ने संभाली कंपनी

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Aanchal Pandey

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