नई दिल्ली। जब से गर्मी बढ़ी है, इलेक्ट्रिक स्कूटरों में आग लगने की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिसमें इलेक्ट्रिक स्कूटर निर्माता ओला, ओकिनावा आदि के नाम शामिल हैं. ई-स्कूटर में आग लगने की घटनाओं ने लोगों में इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति अविश्वास पैदा कर दिया है. इसलिए आज हम आपको इस खबर के माध्यम […]
नई दिल्ली। जब से गर्मी बढ़ी है, इलेक्ट्रिक स्कूटरों में आग लगने की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिसमें इलेक्ट्रिक स्कूटर निर्माता ओला, ओकिनावा आदि के नाम शामिल हैं. ई-स्कूटर में आग लगने की घटनाओं ने लोगों में इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति अविश्वास पैदा कर दिया है. इसलिए आज हम आपको इस खबर के माध्यम से बताने जा रहे हैं कि इलेक्ट्रिक वाहन में आग क्यों लगती है, जिससे आप समय रहते इसे करीब से समझ सकें.
इलेक्ट्रिक वाहन में आग लगने के पीछे कई कारण हैं. ई-स्कूटर में इस्तेमाल होने वाले गैसोलीन और लिथियम दोनों ही अत्यधिक ज्वलनशील होते हैं. उनके बीच तापमान में अंतर केवल आग पकड़ने का है. गैसोलीन 210 डिग्री सेल्सियस से ऊपर के तापमान पर आग पकड़ता है, जबकि लिथियम 135 डिग्री सेल्सियस से ऊपर के तापमान पर प्रज्वलित होता है. ऐसे में ऊर्जा के समुचित उपयोग के लिए प्रौद्योगिकी में सुरक्षा को अपनाना आवश्यक है. ICE इंजन उद्योग पुराना है और शुरुआती दौर में इन जटिलताओं का सामना करना पड़ा है. यह इलेक्ट्रिक स्कूटर के लिए नया है. यह अपने आईसीई समकक्षों की तरह खुद को सुधार सकता है.
बाहर का तापमान इन दिनों अपने चरम पर है, जो इलेक्ट्रिक स्कूटर में आग लगने का मुख्य कारण हो सकता है. अत्यधिक तापमान के कारण बैटरी अधिक गर्म हो जाती है जिससे आग लगने की घटनाएं होती हैं. हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि वाहनों में आग लगने का कारण बीएमएस (बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम), ओवरचार्जिंग, गलत चार्जर का इस्तेमाल आदि हो सकता है.
बैटरी की कोर इंजीनियरिंग अत्यंत महत्वपूर्ण है. हमें ऐसी बैटरी चाहिए जो बुद्धिमान, सुरक्षित और विश्वसनीय हों. अत्यधिक गर्म मौसम की स्थिति और बैटरी की अनुचित थर्मल प्रबंधन प्रणाली बैटरी के प्रदर्शन को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है. बैटरी में आग आमतौर पर ओवरचार्जिंग या शॉर्ट सर्किट के कारण होती है
इलेक्ट्रिक वाहन में लगी आग को लेकर सरकार काफी सख्त है. इस मामले को लेकर बढ़ती घटनाओं के बीच केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कुछ दिन पहले कहा था कि सरकार मामले की जांच के लिए गठित विशेषज्ञ पैनल की रिपोर्ट मिलने के बाद चूक करने वाली कंपनियों के खिलाफ जरूरी कार्रवाई करेगी.