नई दिल्ली: सत्येन्द्र नारायण सिन्हा एक भारतीय राजनेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री थे। लोग प्यार से उन्हें छोटे साहब कहते थे। वे भारत के स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, सांसद, शिक्षा मंत्री के अलावा बिहार के मुख्यमंत्री भी रहे हैं। छोटे साहब 72 वर्ष की आयु में मुख्यमंत्री बने थे। इससे पहले 1977 मे उन्होंने मुख्यमंत्री […]
नई दिल्ली: सत्येन्द्र नारायण सिन्हा एक भारतीय राजनेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री थे। लोग प्यार से उन्हें छोटे साहब कहते थे। वे भारत के स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, सांसद, शिक्षा मंत्री के अलावा बिहार के मुख्यमंत्री भी रहे हैं। छोटे साहब 72 वर्ष की आयु में मुख्यमंत्री बने थे। इससे पहले 1977 मे उन्होंने मुख्यमंत्री बनने की कोशिश की थी, परंतु उस समय सफलता नहीं मिला। सत्येन्द्र नारायण सिन्हा इतने भाग्यशाली नहीं रहें और वर्षों तक बिहार के वरिष्ठ नेता होने के बावजूद उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया।
1961 में बने शिक्षा मंत्री
स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी के बाद देश की आजादी के समय राष्ट्रीय राजनीति में इनका नाम महत्त्व हो चुका था। लेकिन सत्येन्द्र नारायण सिन्हा की प्राथमिक रुचि राज्य की राजनीति थी। यही कारण था कि वो 1961 में बिहार के शिक्षा मंत्री बने, जो उप मुख्यमंत्री के हैसियत में थे।
मगध विश्वविद्यालय का किया स्थापना
उन्होंने छठे और सातवें दशक में बिहार की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाई। उन्होंने राजनीति के लिए मानवीय अनुभूतियों को हमेशा के लिए साथ छोड़ दी। शिक्षा मंत्री के रूप में शिक्षा संबंधी सुधार किया, साथ ही मगध विश्वविद्यालय की स्थापना भी की। वे देश में अपनी सैद्धांतिक राजनीति के लिए काफी चर्चा में रहते थे। सत्येन्द्र बाबू ने शिक्षा को नई दिशा दी, युवकों एवं छात्रों को राजनीति में उचित स्थान दिलाए जाने के पक्ष में थे।
पटना को दिलाई ऐतिहासिक पहचान
छोटे साहब ने बिहार के विकास में आगे चलने वाला भूमिका निभाई। सत्येन्द्र बाबू ने राजधानी का गौरव और देशभर में पटना को अलग पहचान दिलाने वाले ऐतिहासिक तारामंडल की आधारशिला रखा। अपने 60 साल के राजनीतिक जीवन में छोटे साहब ने कई मील के पत्थर स्थापित किया। युवाओं और छात्रों को राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया।