नई दिल्ली. भारतीय जनता पार्टी ने मालेगांव ब्लास्ट की आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को कांग्रेस के दिग्गज दिग्विजय सिंह के खिलाफ भोपाल लोकसभा सीट से अपना प्रत्याशी घोषित किया है. हाल ही में प्रज्ञा ठाकुर बीजेपी में शामिल हुईं थीं. प्रज्ञा ठाकुर ने भाजपा की सदस्यता लेकर कहा था कि वे चुनाव लड़ेंगी भी और जीतेंगी भी. साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का नाम मालेगांव ब्लास्ट के साथ-साथ आरएसएस नेता सुनिल जोशी हत्याकांड में भी आ चुके है. जानिए अपने भड़काऊ भाषणों से सुर्खियों में रहने वाली प्रज्ञा ठाकुर कौन हैं.
बचपन से था आरएसएस से जुड़ाव
मध्य प्रदेश के चंबल इलाके में बचपन गुजारने वाली प्रज्ञा ठाकुर के आयुर्वेदिक डॉक्टर पिता संघ से भी जुड़े थे. इसी वजह से बचपन से ही प्रज्ञा का आरएसएस की ओर झुकाव रहा. वे संघ की स्टूडेंट यूनिट अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषदज में सक्रिय सदस्य रहीं. जिसके बाद में प्रज्ञा विश्व हिंदू परीषद (वीएचपी) की महिला विंग दुर्गा वाहिनी से भी जुड़ीं.
2002 में बनाई जय वंदे मातरम जन कल्याण समिति
साल 2002 प्रज्ञा सिंह ठाकुर के लिए काफी बदलाव से भरा रहा. दरअसल इस साल प्रज्ञा ने ”जय वंदे मातरम जन कल्याण समिति” की शुरुआत की. प्रसिद्ध स्वामी अवधेशानंद से प्रज्ञा इतनी प्रभावित हुईं कि उन्होंने सन्यास लेने का निर्णय किया.
आरएसएस के सुनिल जोशी की हत्या में आया था नाम
29 सिंतबर 2007 में आरएसएस नेता सुनिल जोशी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस वारदात में साध्वी प्रज्ञा समेत अन्य 7 लोगों के नाम शामिल थे. हालांकि साल 2017 में मध्य प्रदेश की देवास कोर्ट में इस हत्यकांड में साध्वी प्रज्ञा को बरी कर दिया गया.
मालेगांव ब्लास्ट से बदल गई थी जिदंगी
महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए बम ब्लास्ट में नाम आने के बाद प्रज्ञा सिंह ठाकुर की जिंदगी बदल गई. ब्लास्ट में शामिल होने के आरोप में प्रज्ञा ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित को गिरफ्तार कर लिया गया. वर्तमान में दोनों लोग बेल पर बाहर हैं. बता दें कि सिंतबर 2008 में मालेगांव में एक बाइक पर लगे दो बम फटने की वजह से 7 लोगों की मौत हो गई थी और सैंकड़ों लोग घायल हुए थे.
9 साल जेल में रहीं साध्वी प्रज्ञा
मालेगांव कांड को लेकर साध्वी प्रज्ञा के ऊपर लगे मकोका को कोर्ट ने बाद में हटा दिया. उनपर गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया गया. भोपाल से प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने 9 साल जेल में बिताए, जिसके बाद में उन्हें जमानत दे दी गई. जेल से बाहर आने के प्रज्ञा ठाकुर ने मालेगांव ब्लास्ट के बाद उनके साथ हुई 23 दिन की यातना के आरोप में बताया. साथ ही तत्कालीन गृह मंत्री पी. चिदंबरम पर उन्हें झूठ केस में फंसाने का आरोप लगाया था.
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