देश-प्रदेश

जानिए एसिड अटैक में देश का कौन-सा राज्य आगे? 47% मामलों में दोषी गिफ्तार

नई दिल्ली: बीते दिनों राजधानी दिल्ली में एक 17 साल की स्कूली छात्रा पर एसिड अटैक का मामला सामने आया था. बता दें, इस साल का यह पहला मामला नहीं है। अगर आप पिछले 5 सालों के आंकड़े देखें तो पाएंगे कि हर साल औसतन 200 एसिड अटैक होते हैं। यह हाल तब है, जब 2013 में एसिड की खुली बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। तेजाब से हमला एक पीड़ित की आत्मा को झकझोर देता है लेकिन अगर हम उनके मामलों को देखें तो पता चलता है कि दोषी साबित होने तक अधिकांश आरोपी बरी हो जाते हैं। जानिए देश में एसिड अटैक के मामलों की स्थिति और क्यों नहीं थमते ये मामले…

 

मामले कम तो हुए लेकिन रुके नहीं

 

एनसीआरबी (NCRB) का पिछले 6 साल का रिकॉर्ड कहता है कि एसिड अटैक के मामले कम तो हुए हैं, लेकिन रुके नहीं हैं। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने हालिया घटना पर सवाल उठाते हुए कहा कि आयोग ने कई बार चेतावनी जारी की थी। सुझाव तो दिए गए, लेकिन तेजाब अभी भी सब्जियों की तरह ही बाजार में बिक रहा है। महिला आयोग ने कहा था कि दिल्ली के जिलों में तेजाब की बिक्री पर कोई जांच नहीं हो रही है.

 

कितने मामले दर्ज

 

साल 2021 में, 176 एसिड अटैक के मामले दर्ज किए गए, लेकिन उनमें से केवल 20% मामलों में ही अपराधी को दोषी पाया गया। पिछले 6 साल का रिकॉर्ड देखें तो औसतन 53% मामलों में तेजाब फेंकने वाले को दोषी नहीं पाया गया और उसे बरी कर दिया गया.

 

पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा अटैक

 

पिछले साल देश भर में सबसे ज्यादा एसिड अटैक के मामले पश्चिम बंगाल में दर्ज किए गए थे। इसके बाद उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा और राजस्थान हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, देश भर में एसिड अटैक के 60% मामले तो दर्ज नहीं होते हैं।

आरोपी और पीड़िता होते हैं जानकार

 

आपको बता दें, दुनिया भर में 80% एसिड अटैक महिलाओं में होते हैं। इनमें से 76% मामलों में आरोपी पीड़ित को पहले से ही जानता है। इतना ही नहीं, इनमें से कुछ मामले तो ऐसे भी सामने आए हैं, जब पति ने अपनी पत्नी पर तेजाब फेंक दिया। भारत में एसिड अटैक कानून भी है। ऐसे मामलों में धारा 326ए के तहत अपराधी को 7 साल से लेकर उम्रकैद की सजा तक का प्रावधान है। वहीं, तेजाब से हमला करने की कोशिश करने वालों को धारा 326बी के तहत 5-7 साल की जेल और जुर्माना हो सकता है। कानून के बावजूद गाइडलाइन की अनदेखी कर तेजाब की खुली बिक्री के मामले नहीं रुक रहे हैं।

 

 

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Amisha Singh

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