नई दिल्ली: शरद नवरात्रि का पावन पर्व कल से यानी 15 अक्टूबर से शुरू हो गया है. पहले दिन घटस्थापना करके मां को विराजमान किया जा चुका है और उपवास रखने वालों ने उपवास भी रखें है. मगर क्या आपको मालूम है कि आज यानी दूसरे दिन मां दुर्गा के कौन से रूप की पूजा […]
नई दिल्ली: शरद नवरात्रि का पावन पर्व कल से यानी 15 अक्टूबर से शुरू हो गया है. पहले दिन घटस्थापना करके मां को विराजमान किया जा चुका है और उपवास रखने वालों ने उपवास भी रखें है. मगर क्या आपको मालूम है कि आज यानी दूसरे दिन मां दुर्गा के कौन से रूप की पूजा की जाती है तो चलिए जानते हैं.
नवरात्रि का पावन पर्व 15 अक्टूबर से प्रारंभ हो गया है. इस बार नवरात्रि पूरे नौ दिनों की है यानी हर दिन मां दुर्गा के अलग अलग रूपों की पूजा की जाएगी मगर जिसमें से एक दिन बीत चुका है यानी पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जा चुकी है और आज दूसरे दिन मां के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा की जाएगी. मां के हर रूप की अलग कहानी एवं इतिहास है जो हमको कुछ ना कुछ सिखाती हैं.
शास्त्रों के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया और नारद मुनि के उपदेश मान कर महादेव जी को पति रूप में पाने के लिए खोर तपस्या करने लगीं जिससे उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ गया. तभी से मां ब्रह्मचारिणी की पूजा नवरात्रि के दुसरे दिन जाने लगी.
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना करने से आत्मविश्वास, सौभाग्य, आरोग्य और आयु, अभय की प्राप्ति होती है. मां के इस स्वरूर की पूजा और व्रत करने से मनुष्य कठीन से कठीन समय में भी अपने पथ से विचलित नहीं होते. मां ब्रह्मचारिणी को खुश करने के लिए ह्रीं श्री अम्बिकायै नमः’ का जाप करें. इस मंत्र को 108 बार जाप कर सकते हैं। अन्य देवियों की तुलना में मां ब्रह्मचारिणी सरल सहज , अतिसौम्य, तथा क्रोध रहित देवी है जो तुरंत वरदान देती है.