इंडिया गेट पर सुभाष चंद बोस की लगेगी प्रतिमा, पहले जार्ज पंचम थे विराजमान

Netaji-subhash-chandra-bose नई दिल्ली .  Netaji-subhash-chandra-bose प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज एक ऐतिहासिक फैसले का ऐलान करते हुए अपने ट्विटर अकॉउंट के जरिए बताया कि अब इंडिया गेट के पास नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) की प्रतिमा लगाई जाएगी. उन्होंने बताया कि जब तक नेताजी की प्रतिमा बनकर तैयार नहीं हो जाती तब […]

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इंडिया गेट पर सुभाष चंद बोस की लगेगी प्रतिमा, पहले जार्ज पंचम थे विराजमान

Girish Chandra

  • January 21, 2022 4:52 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 years ago

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नई दिल्ली .  Netaji-subhash-chandra-bose प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज एक ऐतिहासिक फैसले का ऐलान करते हुए अपने ट्विटर अकॉउंट के जरिए बताया कि अब इंडिया गेट के पास नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) की प्रतिमा लगाई जाएगी. उन्होंने बताया कि जब तक नेताजी की प्रतिमा बनकर तैयार नहीं हो जाती तब तक उस जगह पर उनकी होलोग्राम प्रतिमा मौजूद रहेगी।

बता दें जिस जगह पर नेताजी सुबाष चंद्र बोस की प्रतिमा स्थापित होनी है, उस जगह पर पहले से किसी की तस्वीर लगी हुई थी. आइए आपको उस तस्वीर के बारे में बताते है. इंडिया गेट जब बना था तब गेट के सामने जार्ज पंचम की एक मूर्ति लगी हुई थी, जिसे 1968 में हटाया गया था. अब इसी जगह पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा लगाई जाएगी। इंडिया गेट और ब्रटिश शासन की ओर से जॉर्ज पंचम की विश्व युद्ध के दौरान अहम भूमिका होने की वजह से उनकी तस्वीर यहां स्थापित की गई थी.

कौन थे जॉर्ज पंचम?

जॉर्ज पंचम यूनाइटेड किंगडम के किंग और ब्रिटिश भारत में 1910 से 1936 तक यहां के शासक भी रहे थे. ब्रिटिश की ओर से जॉर्ज पंचम एक ऐसे राजा थे जो दिल्ली दरबार में खुद भारतीय जनता के सामने पेश हुए थे साथ ही उनका भारत के राजमुकुट से राजतिलक हुआ था. बताया जाता है कि उनका निधन प्लेग और अन्य बीमारियों की वजह से हुआ था.

इंडिया गेट क्यों बना?

इंडिया गेट ब्रिटिश सरकार द्वारा 1914-1921 के बीच अपनी जान गंवाने वाले ब्रिटिश-भारतीय सेना के सैनिकों की याद में बनाया गया था. इंडिया गेट उन 70, 000 से अधिक भारतीय सेनिको को याद करता है, जिन्होंने पहले विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश आर्मी के लिए लड़ते हुए अपनी जान न्योछावर की थी. बता दें इंडिया गेट पर 13,516 से अधिक ब्रिटिश और भारतीय सैनिकों के नाम लिखे हुए है, जिनका विश्व युद्ध में अहम योगदान रहा हैं.

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