October 30, 2024
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जानिए क्या हैं भारत और जर्मनी का जॉइंट सबमरीन प्रोजेक्ट?

जानिए क्या हैं भारत और जर्मनी का जॉइंट सबमरीन प्रोजेक्ट?

  • WRITTEN BY: Vaibhav Mishra
  • LAST UPDATED : March 1, 2023, 2:46 pm IST
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नई दिल्ली। जॉइंट सबमरीन प्रोजेक्ट के तहत जर्मनी की सबमरीन निर्माता कंपनी को भारतीय कंपनी के साथ साझेदारी कर भारत में ही पनडुब्बी निर्माण करना होगा। बता दें कि, भारत सैन्य खर्च के मामलें में दुनिया में अमेरिका और चीन के बाद आता हैं, यानी तीसरे स्थान पर आता हैं। अब भारत अपनी सैन्य ताकत को और विस्तृत करना चाहता हैं। वर्तमान समय में भारतीय नेवी के पास 11 सबमरीन है, जो 20 साल से ज्यादा पुरानी हो चुकी हैं, अब इन्हें भारत बदलना चाहता है।

क्या है ये सबमरीन प्रोजेक्ट?

भारत हमेशा से विदेश से हथियारों का बड़ा व्यापार करता आया हैं। इस परिस्थिति को बदलने के लिए भारत ने मेक इन इंडिया के तहत हथियारों को अपने ही देश में निर्माण करने का फैसला लिया है। इसका प्रमाण हमें जॉइंट सबमरीन प्रोजेक्ट के तहत देखने को मिलता है, जहां जर्मनी की कम्पनी भारत की कंपनी के साथ भारत में ही इस प्रोजेक्ट पर काम करेगी। बता दें कि इस प्रोजेक्ट के माध्यम से जर्मनी की थाइसेनक्रुप मरीन सिस्टम समेत दो कंपनियों ने भारतीय सबमरीन प्रोजेक्ट के लिए रूचि दिखाई है। इस प्रोजेक्ट की कुल लागत लगभग 520 करोड़ की बताई जा रही है।

कई कंपनियों ने इंकार किया

बता दें कि, फ्रांस की एक कंपनी ने मई 2022 में जॉइंट सबमरीन प्रोजेक्ट से अपना नाम वापस ले लिया था। कंपनी का कहना था कि वह भारत की शर्तो को पूरा नहीं कर सकता है। दरअसल भारत की शर्त है कि विदेशी कंपनी को फ्यूल बेस्ड एयर इंडिपेंडेंट प्रॉपल्शन तकनीक भी साझा करनी होगी। ऐसे में कई कंपनियों ने प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने से इंकार कर दिया। रूस की कंपनी रोसोबोरोन एक्सपोर्ट और स्पेन की कंपनी नावंतिया ग्रुप ने भी इस प्रोजेक्ट में शामिल होने से इंकार कर दिया हैं। अब केवल जर्मनी की कंपनी टीकेएमएस और साउथ कोरिया की कंपनी देवू शिपबिल्डिंग एंड सबमरीन इंजनियरिंग ही इस प्रोजेक्ट में रूचि रख रहे हैं।

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