नई दिल्ली: मंगलवार (5 दिसंबर) को गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में जम्मू कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल 2023 और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन संशोधन बिल 2023 पेश किया। यह दोनों बिल काफी अहम हैं। 5 अगस्त को आर्टिकल 370 को खत्म होने के बाद जम्मू -कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिल गया। अब इस संसोधन बिल (J&K Reorganization Amendment Bill 2023) से जम्मू-कश्मीर विधानसभा सीटें बढ़ाने की व्यवस्था है। अगर यह लागू होता है तो विधानसभा में कुल 114 सीटें हो जाएंगी। साथ ही दूसरे विधेयक में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के सदस्यों को नौकरियों और व्यावसायिक संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण का प्रावधान दिया गया है। इससे जुड़ी सभी बातों को इन सवालों के जरिए समझिए।
जम्मू कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल 2023 मुख्यतः अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के सदस्यों को नौकरियों और व्यावसायिक संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण प्रदान करेगा। इस संशोधन बिल में कश्मीर प्रवासियों और पीओके से विस्थापित लोगों के लिए सीट रिजर्वेशन का प्रावधान है।
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन संशोधन बिल 2023 (J&K Reorganization Amendment Bill 2023) से जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटें बढ़ाने की व्यवस्था है। 5 अगस्त 2019 के पहले कुल 111 विधानसभा की सीटें थीं, जब यहां आर्टिकल-370 लगा हुआ था। लेकिन आर्टिकल 370 को खत्म होने के बाद जम्मू -कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिल गया। अब यहां की जो 111 विधानसभा सीटें थीं, जिसमें, 24 सीटें पीओके की हैं। लेकिन पीओके की सीटों पर चुनाव नहीं होता था, केवल 87 सीटों पर ही होता था। वहीं, अब लद्दाख के अलग होने के बाद केवल 83 सीटें ही बची हुई हैं। ऐसे में इस बिल को लाकर जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटें 83 से बढ़ाकर 90 कर दी जाएंगी। इस संसोधन बिल के आने के बाद विधानसभा में कुल 114 सीटें हो जाएंगी।
हां, जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक और जम्मू कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल 26 जुलाई, 2023 को लोकसभा में पेश किए गए थे। लेकिन मानसून सत्र में चर्चा या पारित करने के लिए नहीं लिया गया। अब शीतकालीन सत्र में इनपर विचार हो रहा है। बता दें कि यह विधेयक जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन करता है।
जम्मू कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल 2023 में कश्मीरी प्रवासियों के लिए भी विशेष प्रावधान है। इसके मुताबिक, उपराज्यपाल कश्मीरी प्रवासी समुदाय से अधिकतम दो सदस्यों को विधान सभा में नामांकित कर सकते हैं। साथ ही कहा गया है कि नामांकित सदस्यों में से एक महिला भी होनी चाहिए।
इस बिल में ऐसे व्यक्तियों को कश्मीरी प्रवासियों की सूची में शामिल किया गया है जो 1 नवंबर, 1989 के बाद कश्मीर घाटी या जम्मू और कश्मीर राज्य के किसी अन्य हिस्से से चले गए और राहत आयुक्त के साथ पंजीकृत हैं। इसके अलावा अगर इन कुछ कारणों की वजह से इन प्रवासियों का पंजीकरण नहीं हो पाया है, वो भी इस बिल के अंतर्गत कश्मीरी प्रवासियों की सूची में आएंगे। ये कारण हैं-
1. किसी चलते-फिरते कार्यालय में सरकारी सेवा में हैं
2. काम के लिए चले गए
3. जिस स्थान से प्रवासित हुए हैं, वहां उनके पास अचल संपत्ति है। पर अशांति के चलते वहीं निवास करते हैं।
विधेयक (Jammu Kashmir Reservation Amendment Bill 2023) में यह भी प्रावधान है कि उपराज्यपाल पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर के विस्थापित व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक सदस्य को विधान सभा में नामित कर सकते हैं।
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