नई दिल्ली: What is Fatwa?: इन दिनों फ़तवा का ज़िक्र बार-बार सुनने को मिल रहा है। बीते दिनों उर्फ़ी जावेद को लेकर भी फ़तवा जारी हुआ था। आपको बता दें, समाज में फ़तवे को किसी विवादित चीज़ से कम नहीं समझा जाता। कई मर्तबा शख्स को इस बारे में मुकम्मल इल्म नहीं होता या फिर लोगों को कम जानकारी होती है। बता दें, अगर कोई भी शख़्स इस्लाम के खिलाफ़ कोई काम करता है और उस पर अगर कोई अलेमा कुछ कहता है….. तो इसे भी फ़तवे से जोड़ कर देखा जाने लगा है। जबकि यह हक़ीक़त नहीं है। जी हाँ, फ़तवा किसी और चीज़ का नाम है, आइए आपको इस बारे में इत्तिला देते हैं :
बेहद आसान लहज़े में समझे तो, जब इस्लाम से जुड़े किसी भी मामले पर कुरान और हदीस के मुताबिक़ कोई हुक़्म जारी किया जाता है तो इसे ही फ़तवा कहा जाता है। आपको बता दें, फ़तवा एक राय होती है। किसी भी शख़्स पर उसे मानने का ज़ोर नहीं होता। साथ ही आपको बताते चलें कि अल्लाह ताला की कही गई बातों को कुरान कहते हैं और मोहम्मद पैगंबर स0 की कही गई बातों को हदीस कहते हैं।
जहाँ तक फ़तवा जारी करने की बात है तो आपको बता दें, इसे कोई भी जारी नहीं कर सकता। जी हाँ, इसे सिर्फ़ कोई मुफ़्ती जारी कर सकता है। अब आप ये भी जान लें कि मुफ़्ती बनने के लिए शरिया कानून, कुरान और हदीस का मुकम्मल इल्म होना जरूरी है। यानी कि धर्म के बारे में बहुत अच्छी जानकारी रखने वाला शख्स ही मुफ़्ती बनता है।
अगर आपको अभी भी फ़तवा के मतलब समझ नहीं आया तो आइए आपको थोड़ा और तफ़सील से बताते हैं। दरअसल, वो तमाम मामले जो इस्लाम मज़हब से ताल्लुक़ रखते हैं उन मसलों पर कुरान और हदीस की रोशनी में जो हुक़्म जारी किया जाता है उसे ही फ़तवा कहा गया है। एक बात और याद रखें कि फ़तवे को हर मौलवी, इमाम या अलेमा जारी नहीं कर सकता है। फ़तवे को हमेशा एक मुफ़्ती ही जारी करता है।
मिली जानकारी के मुताबिक़, आज से क़रीबन 1400 साल पहले मोहम्मद पैगंबर (स0) का वजूद था। आज के ज़माने की बात करें तो आज दुनिया काफ़ी बहुत बदल चुकी है। जो नियम कायदे उस वक़्त लागू होते थे, आज के वक़्त में ज़रूरी नहीं कि वैसा ही हो। इसलिए मोहम्मद पैगंबर (स0) ने आने वाले वक़्त के बारे में भी पहले ही ख़बर दे दी थी। वक़्त-बेवक़्त हर मुल्क में ज़माने के हिसाब से बदलाव होते हैं। इस्लाम के जानकार जो राय देते हैं उसे भी फ़तवा कहा जाता है।
दूसरा ये कि जब कोई भी शख़्स अपनी जिंदगी इस्लामिक तौर-तरीक़े से गुज़ारना चाहे और उसकी ज़िंदगी में टकराव नज़र आए तो भी वह इन मसलों के बारे में मुफ़्ती से पूछता है तो ऐसे मसलों में भी मुफ़्ती की राय को भी फ़तवा कहा जाता है।
इस्लाम के जानकारों की मानें तो, फतवा किसी इस्लामिक मुल्क कानूनी तौर से लागू हो सकता है लेकिन अब हिंदुस्तान में इस्लामी कानून या शरिया कानून नहीं हैं इसलिए हमारे देश में फ़तवा का मलतब ज़्यादा से ज़्यादा सिर्फ़ मुफ़्ती की एक राय है। जिसका कानून से कोई ताल्लुक़ात नहीं है।
हालाँकि इस बात से भी नकारा नहीं जा सकता कि भारत देश के भी कई इलाकों में मौलवियों ने फ़तवे का गलत इस्तेमाल किया है। जैसा कि आपको अभी-अभी बताया गया, फ़तवा सिर्फ़ और सिर्फ़ एक मुफ़्ती ही जारी कर सकता है। लेकिन कई मर्तबा देखा गया यही कि कुछ मौलवी भी फ़तवा जारी कर देते हैं और फिर ज़बरन उन्हें लागू भी कराते हैं।
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