नई दिल्ली: देवताओं और राक्षसों के बीच युद्ध होते रहते थे, एक दिन दैत्य गुरु शुक्राचार्य तपस्या करने गये और वहाँ दैत्यों का मार्गदर्शन करने वाला कोई नहीं था. देवताओं ने इस अवसर का फायदा उठाया और राक्षसों पर हमला कर दिया. शुक्राचार्य की माता और महर्षि भृगु की पत्नी पुलोमा को राक्षसों से बहुत प्रेम था. हालांकि राक्षस भागकर महर्षि भृगु के आश्रम में पहुंचे और पुलोमा से सुरक्षा मांगी, वैसे उस समय भृगु आश्रम में नहीं थे और पुलोमा ने राक्षसों को शांत रहने के लिए कहा और उन्हें आश्रम में आश्रय दिया.
दरअसल जब देवताओं को इस बात का पता चला तो उन्होंने भगवान विष्णु के साथ मिलकर भृगु के आश्रम पर आक्रमण कर दिया उस समय राक्षस आक्रमण करने को तैयार नहीं थे, वो सभी डर के मारे पुलोमा की ओर भागे और पुलोमा देवताओं और राक्षसों के बीच खड़ी हो गई. साथ ही विष्णु ने पुलोमा से कहा,’हम दैत्यों का संहार करने आए हैं। कृपया मार्ग से हट जाइए’.
भगवान विष्णु की घोषणा के बाद भी पुलोमा नहीं माने, ये देखकर देवताओं ने पुलोमा पर आक्रमण करने का प्रयास किया, लेकिन पुलोमा ने सभी देवताओं को आश्चर्यचकित कर दिया, भगवान विष्णु पुलोमा की शक्ति से प्रभावित नहीं थे, जब उन्होंने पुलोमा को देखा तो वो आश्चर्यचकित रह गए. उसने फिर से पुलोमा को रास्ते से हटने और शैतान को शरण न देने के लिए कहा.
भगवान विष्णु समझ गए कि जब तक पुलोमा जीवित है तब तक राक्षस को मारना असंभव नहीं है. भगवान ने अपनी आँखें बंद कर लीं और दिव्य सुदर्शन चक्र का आह्वान किया, अगले ही क्षण भगवान विष्णु की तर्जनी पर सुदर्शन चक्र प्रकट हो गया तब भगवान विष्णु ने कई राक्षसों और दुष्ट को मारने के लिए अपने चक्र का उपयोग किया लेकिन ये धर्मसंकट की घड़ी थी.
विष्णु जानते थे कि पुलोमा का संहार किए बिना उनके लिए धर्म की अनुपालना करना संभव नहीं था, विष्णु ने निर्णय ले लिया था. अगले ही क्षण सुदर्शन चक्र ने भृगु-पत्नी पुलोमा का सिर काटकर नीचे गिरा दिया. बता दें की विष्णु के हाथ से स्त्री-वध हो गया था उन्हें इसका परिणाम पता था, परंतु धर्म-रक्षक विष्णु अपने स्थान पर अडिग खड़े मुस्कराते रहे, उसी समय महर्षि भृगु ने आश्रम में प्रवेश किया है.
पुलोमा का कटा शीश देखकर भृगु की आंखें क्रोध से लाल हो गईं उन्होंने विष्णु से कहा, ‘प्रभु ! ये आपने क्या किया? स्त्री-वध का पाप करके आपको क्या मिला?’ ‘हे महर्षि,’ विष्णु ने शांत भाव से कहा, ‘मेरी दृष्टि में पुरुष और स्त्री में कोई भेद नहीं है. मैं केवल धर्म और अधर्म का अंतर समझता हूं. साथ ही आपकी पत्नी पुलोमा धर्म की रक्षा में बाधा उत्पन्न कर थीं, इसलिए मुझे इनका वध करना पड़ा’.
तुम्हें वही दर्द सहना होगा जो तुम्हें दिया गया था, जिस प्रकार मैं अपनी पत्नी के वियोग से दुःखी हूँ, उसी प्रकार मैं तुम्हें शाप देता हूँ कि तुम्हें एक मनुष्य के रूप में जन्म लेकर अपनी पत्नी के वियोग का दुःख सहना पड़ेगा. भगवान विष्णु ने हाथ जोड़कर कहा कि “मैं आपका श्राप स्वीकार करता हूँ!” भृगु के इस श्राप के परिणामस्वरूप, विष्णु ने त्रेता युग में दशरथ नंदन राम के रूप में जन्म लिया और रावण द्वारा सीता का अपहरण करने के बाद, राम को अपनी पत्नी से वियोग का दर्द सहना पड़ा.
also read : X Updates : एलन मस्क शुरू करने वाले हैं एक्स पर सफाई अभियान, जानें डिटेल्स
महिलाओं में यौन इच्छा कम होने के पीछे कई शारीरिक और मानसिक कारण हो सकते…
महान तबलावादक और संगीतकार उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन हो गया। बता दें शुरुआती दिनों…
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच ब्रिस्बेन में खेले जा रहे तीसरे टेस्ट के दूसरे दिन…
राजस्थान राज्य के भीलवाड़ा ज़िले से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है,…
महाभारत युद्ध के दौरान गांधारी से मिले श्राप के कारण श्री कृष्ण के कुल में…
प्रसिद्ध तबलावादक उस्ताद जाकिर हुसैन का सोमवार सुबह 73 वर्ष की आयु में निधन हो…