मुंबई: अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने बीते दिन अपनी शादी का खुलासा करके सब को चौंका के रख दिया था। आपको बता दें, बॉलीवुड की जानी-मानी एक्ट्रेस स्वरा भास्कर ने सपा नेता फहद अहमद से शादी की। आपको बता दें, इंटर रिलीजियस कपल्स की तरह स्वरा और फहाद की शादी भी 1954 के स्पेशल मैरिज एक्ट […]
मुंबई: अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने बीते दिन अपनी शादी का खुलासा करके सब को चौंका के रख दिया था। आपको बता दें, बॉलीवुड की जानी-मानी एक्ट्रेस स्वरा भास्कर ने सपा नेता फहद अहमद से शादी की। आपको बता दें, इंटर रिलीजियस कपल्स की तरह स्वरा और फहाद की शादी भी 1954 के स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत हुई थी। ट्विटर पर इसकी अनाउंसमेंट करते हुए स्वरा ने लिखा, ”थ्री चीयर्स फॉर स्पेशल मैरिज एक्ट, कम से कम यह तो मौजूद है।
ये प्यार करने वालों को मौका देता है। ये प्यार का हक़ देता है। ये आपको अपने जीवन साथी चुनने का अधिकार और शादी करने का अधिकार देता है स्वरा ने अपने ट्वीट में स्पेशल मैरिज एक्ट का जिक्र किया। ऐसे में आइए जानते हैं कि, ये इस अधिनियम में क्या शामिल है, यह दूसरी शादी से कैसे अलग है और इसकी प्रक्रिया क्या है।
आपको बता दें, स्पेशल मैरिज एक्ट (SMA) 8 अक्टूबर, 1954 को पारित किया गया था। यह सिविल मैरिज से संबंधित है, जहाँ पर राज्य धर्म के विवाह को मंजूरी देता है। आसान भाषा में समझें तो मुस्लिम मैरिज एक्ट 1954 और हिंदू मैरिज एक्ट 1955 में दोनों पति-पत्नी को शादी से पहले धर्म परिवर्तन करना होता है, लेकिन स्पेशल मैरिज एक्ट में ऐसा नहीं है।
जानकारी के लिए बता दें कि स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत रजिस्टर होने वाली शादियों के मामले में, विवाह से पहले किसी भी पति या पत्नी को अपना धर्म नहीं छोड़ना पड़ता, यानी कि उन्हें धर्मांतरण नहीं करना पड़ता। भारत में नागरिक (सिविल) और धार्मिक (रिलीजियस) दोनों तरह के विवाहों को मान्यता प्राप्त है। यह ब्रिटेन के विवाह अधिनियम 1949 के जैसा ही है। आपको बता दें, विशेष विस्पेशल मैरिज एक्ट भारत में पहली बार 1872 में लागू किया गया था, लेकिन कुछ संशोधनों के साथ इसे अंतिम बार 1954 में लागू किया गया था।
मालूम हो कि स्पेशल मैरिज एक्ट की धारा 5 के तहत शादी करने वाले पति-पत्नी को 30 दिन पहले जिले के मैरिज ऑफिसर को लिखित नोटिस देना जरूरी होता है। इसके साथ ही यह भी अनिवार्य है कि विवाह के लिए रजिस्ट्रेशन कराते समय पति-पत्नी में से एक उस जिले का स्थानीय निवासी हो।
इसके बाद सभी आवश्यक दस्तावेज जमा किए जाते हैं और फिर नोटिस जारी करने के लिए दोनों पक्षों का उपस्थित होना अनिवार्य है। नोटिस की एक प्रति कार्यालय में बुलेटिन बोर्ड पर चस्पा कर दी जाती है और दोनों पक्षों को बताए गए पते पर दो प्रतियाँ भेज दी जाती हैं। यह नोटिस 30 दिनों के लिए है। यदि इस अवधि के दौरान कोई आपत्ति दर्ज नहीं की जाती है, तो इसे आधिकारिक तौर पर दोनों साथियों को दस्तावेजों पर दस्तखत करना होता है कर फिर दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के बाद शादी मान्यता प्राप्त हो जाती है।
साथ ही आपको बता दें, शादी करने से पहले, दोनों पक्षों को विवाह अधिकारी के सामने 3 गवाह पेश करने होंगे। दस्तावेजों में उनके नाम होना भी जरूरी हैं। एक बार जब विवाह अधिकारी दस्तावेजों को स्वीकार कर लेता है, तो विवाह पर मुहर हो लग जाती है और जोड़े को विवाह प्रमाणपत्र (मैरिज सर्टिफिकेट) जारी किया जाता है। यह विवाह का प्रमाण माना जाता है।