अजमेर: रजब के महीने का आगाज़ हो चुका है। मशहूर सूफी संत हज़रत ख़्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती का सालाना उर्स बड़े ही एहतेराम से मनाया जा रहा है। इस उर्स में देश-विदेश से हज़ारों की तादाद में अक़ीदतमंदों ने दरगाह में हाज़िरी दी। दरगाह में हज़रत मोईनुद्दीन चिश्ती की ज़ियारत के लिए बड़ी तादाद में […]
अजमेर: रजब के महीने का आगाज़ हो चुका है। मशहूर सूफी संत हज़रत ख़्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती का सालाना उर्स बड़े ही एहतेराम से मनाया जा रहा है। इस उर्स में देश-विदेश से हज़ारों की तादाद में अक़ीदतमंदों ने दरगाह में हाज़िरी दी। दरगाह में हज़रत मोईनुद्दीन चिश्ती की ज़ियारत के लिए बड़ी तादाद में अक़ीदमंदों के आने जाने का सिलसिला शुरू हो गया था। इन्हीं सब के बीच अजमेर शरीफ़ दरगाह से मर्माहत करने वाली ख़बर सामने निकल कर आई थी।
खबर के मुताबिक, अजमेर के ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में जायरीन और खादिमों के बीच जमकर मारपीट हुई है। दोनों तरफ के लोगों ने एक दूसरे पर बेहरहमी से लात-घूँसे चलाए। बताया जा रहा है कि, दोनों तरफ के लोगों में बेरहमी से मार-पिटाई हुई। एक विवादित नारे को लेकर पूरा मसला शुरू हुआ जिसके बाद विवाद हाथा-पाई और मार-पीट तक पहुँच गया। जानकारी के लिए मारपीट में बरेलवी और दरगाह के खादिम शामिल थे।
आपको बता दें, ख़िदमत करने वालों से ही शब्द बना है खादिम। खादिम उन्हें कहते हैं जो दरगाह में कारसेवा या ख़िदमत करते हैं। यह जाती भारत के राजस्थान और पाकिस्तान मुल्क में पाई जाती है। अजमेर के ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के खादिम भील पूर्वजों के वंशज बताए जाते है। इसी जाती को खादिम जाति के नाम से जाना गया। वहीं बरेलवी सुन्नी मुसलमानों को एक नाम दिया गया है जो सूफिज्म में ऐतबार रखते हैं। बरेलवियो को अहमद रज़ा खान के लगाव की वजह से लोग बरेलवी कहा जाता है।
बता दें, दोनों ही फ़िरक़े अलग-अलग अक़ीदे पर यकीन रखते हैं। दरगाह के ख़िदमतगार यानी खादिम ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती के समर्थक हैं, वहीं बरेलवी मुस्लिम आला हज़रत को मानते हैं। दोनों ही इस्लाम का हिस्सा है। लेकिन इसी सोच के फ़र्क़ के चलते दोनों में फसाद देखने को मिलता है। यूँ तो इस्लाम को मैंने वाले खुद को मुसलमान कहते हैं लेकिन इस्लामिक कानून और इस्लामिक इतिहास की अपनी-अपनी समझ और यकीन की बुनियाद पर मुस्लिम समुदाय कई फ़िरक़ों में बँटा हुआ है। जैसे- हनफ़ी , देवबंदी, बरेलवी, मालिकी, शाफई, हंबली, सुन्नी वोहरा, शिया और अहमदिया।
हंगामे की ख़बर मिलते ही पुलिस मौके पर पहुँची जिसके बाद थाना प्रभारी अमर सिंह भाटी समेत पुलिस के दस्ते ने मामला शांत कराया। इस हंगामे में बरेलवी और दरगाह के खादिम शामिल थे। बहरहाल इस मामले में अभी तक कोई तहरीर दर्ज़ नहीं हुई है। इस मामले पर खादिमों पर लोगों ने काफ़ी नाराज़गी ज़ाहिर की है। सैयद सरवर चिश्ती ने प्रशासन को एक चिट्ठी लिखी हैं जिसमें तमाम मुल्ज़िमों के खिलाफ़ सख्त कार्रवाई की दरख़्वास्त की गई है। इधर पुलिस ने भी कुछ लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। आपको बता दें कि, ऐसा पहली बार नहीं है जब इस तरह की नारेबाजी के चलते हंगामा हुआ हो। पहले भी ऐसी ही नारेबाजी हुई थी और जमकर हंगामा बरपा था.
जानकारी के लिए बता दें, रजब की 9 तारीख़ यानी कि 1 फरवरी को बड़े क़ुल की रस्म अदा की जाएगी। इस अहम रस्म में भी हज़ारों लोग शरीक होंगे। उर्स के मौक़े पर मुल्क में शांति और आपसी इत्तिहाद व फैज़ की दुआ की गई। उर्स में ज़ियारत के लिए पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश से करीब 500 अक़ीदतमंदों ने दरगाह में शिरकत की। ज़ायरीन ने दरग़ाह शरीफ में मखमली चादर व अक़ीदत के फूल पेश किए। आपको बता दें, सिर्फ़ देश ही नहीं, विदेशों से भी ग़रीब नवाज़ के उर्स के ख़ास मौक़े पर लोग अपनी अक़ीदत का नज़राना पेश करने अजमेर शरीफ़ दरगाह में आते हैं।