नई दिल्ली: अरबों रुपये की ठगी करने वाले सुकेश चंद्रशेखर मामले में एक्ट्रेस जैकलीन फर्नांडिस और नोरा फतेही का नाम भी जुड़ा है। जिसके बाद इस पूरे मामले में लगे आरोपों से परेशान होकर नोरा फतेही ने जैकलीन के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया। नोरा का कहना है कि जैकलीन और मीडिया ट्रायल […]
नई दिल्ली: अरबों रुपये की ठगी करने वाले सुकेश चंद्रशेखर मामले में एक्ट्रेस जैकलीन फर्नांडिस और नोरा फतेही का नाम भी जुड़ा है। जिसके बाद इस पूरे मामले में लगे आरोपों से परेशान होकर नोरा फतेही ने जैकलीन के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया। नोरा का कहना है कि जैकलीन और मीडिया ट्रायल को लेकर उनकी छवि खराब हुई है.
हालांकि इस सवाल के जवाब में जैकलीन के वकील ने भी अपना पक्ष रखा. वकील का कहना है कि उनकी मुवक्किल जैकलीन ने एक्ट्रेस नोरा फतेही के खिलाफ कभी कुछ नहीं कहा। ट्रायल के दौरान न्यायिक अधिकारियों के सामने जो भी बयान दिया गया है.
ऐसे में अब अहम सवाल यह उठता है कि मानहानि क्या है, कानून क्या कहता है और मानहानि की राशि कैसे तय होती है। जानिए ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब…
जब किसी व्यक्ति या कंपनी के बारे में कुछ ऐसा कहा….लिखा या आरोप लगाया जाता है जिससे उस व्यक्ति विशेष की छवि को नुकसान पहुंचता है. या यदि यह किसी व्यक्ति विशेष को नुकसान पहुंचाने के इरादे से किया जाता है, तो यह मानहानि के दायरे में आता है। सीधी भाषा में समझो तो किसी की बदनामी करना। आपको बता दें, मृतक की मृत्यु के बाद भी मानहानि हो सकती है, ऐसे में उसके परिजन उसके खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकते हैं.
अगर किसी व्यक्ति या किसी के परिवार के खिलाफ ऐसी बातें कही जाती है जिससे उनकी भावनाएं आहत होती हैं, तो वह व्यक्ति मानहानि का दावा दायर कर सकता हैं। भारतीय कानून में स्पष्ट रूप से मानहानि का उल्लेख है।
प्रथम लिबेल : जब किसी लिखित दस्तावेज के जरिये किसी व्यक्ति, फर्म आदि की छवि या प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचती है तो इसे लिबेल डिफेमेशन यानी कि लिबेल मानहानि कहा जाता है.
दूसरा स्लैंडर: जब किसी के शब्दों या इशारों के जरिये किसी व्यक्ति, फर्म आदि की छवि या प्रतिष्ठा को ठेस या नुकसान पहुँचता है तो इसे मानहानि स्लैंडर कहा जाता है.
वेबसाइट भारतीय कानून के अनुसार मानहानि का उल्लेख भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 499 और 500 में किया गया है। जिसके आधार पर प्रत्येक मनुष्य के सम्मान और सम्मान की रक्षा करने का नियम है। अनुच्छेद 499 यह निर्धारित करता है कि कब और किन परिस्थितियों में मानहानि का दावा किया जा सकता है, और इसकी सजा का उल्लेख अनुच्छेद 500 में किया गया है।
ऐसे मामलों में बदनामी करने वाले व आरोपी पाए जाने वाले को 2 साल तक की जेल हो सकती है या फिर ऐसे शख्स पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है या फिर सजा और जुर्माना दोनों ही लगाया जा सकता है।
मानहानि का मुकदमा दायर करने से पहले आपको यह भी समझने की जरूरत है कि क्या ये मामला बन रहा है या नहीं। इसके लिए वकील को सब कुछ बताना पड़ता है और फिर वकील ही तय करते हैं कि मानहानि का मुकदमा करना है या नहीं।
इस मामले से संबंधित सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ एक लिखित शिकायत अदालत में प्रस्तुत किया जाता है. जिसके बाद कोर्ट पूरे मामले को देखता है. यदि शिकायत सही पाई जाती है, तो आरोपी पक्ष को अदालत में पेश होने के लिए बुलाया जाता है और इसके बाद कोर्ट का फैसला जारी रहता है.
ऐसे मामलों में कभी-कभी 100, 200 और 500 करोड़ रुपये तक की मानहानि राशि की मांग की जाती है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि राशि किस आधार पर तय की जाती है? तो आपको बता दें, मानहानि तय करने का कोई फिक्स फॉर्म्यूला नहीं होता है।
जिसकी मानहानि हुई है, वह अपने वकील के जरिये अपनी प्रतिष्ठा और मानहानि से हुई मानसिक प्रताड़ना के आधार पर रकम तय करता है। जिसके बाद कोर्ट में मामले की सुनवाई चलती है. सुबूतों के पेश होने और पूरी तहकीकात के बाद यह अदालत पर निर्भर है कि वह इस राशि को मंजूर करे या अपने हिसाब से कम करे.
इसमें सबसे खास बात यह है कि जितनी राशि का मानहानि मुक़दमा दर्ज होता है उसका 10 फीसदी तक का पैसा कोर्ट में जमा किया जाता है। मान लीजिए कि कोई व्यक्ति 100 करोड़ रुपये का मानहानि का मुकदमा दायर करता है, तो उसे ध्यान देना चाहिए कि 10 प्रतिशत यानी 10 करोड़ रुपये कोर्ट फीस के रूप में जमा करना होगा।