राहुल गाँधी की “भारत जोड़ो यात्रा” से कितना जुड़ रहे हैं लोग, जानिए

नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी देश को एक करने निकले हैं। कन्याकुमारी से शुरू हुई भारत जोड़ो यात्रा कई राज्यों से होते हुए दिल्ली, उत्तर प्रदेश से निकलकर हरियाणा पहुंची। यात्रा जम्मू-कश्मीर में समाप्त होगी। राहुल गांधी भले ही खुलकर न बोल रहे हों, लेकिन उनकी यात्रा के कई राजनीतिक उद्देश्य हैं, बता दें […]

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राहुल गाँधी की “भारत जोड़ो यात्रा” से कितना जुड़ रहे हैं लोग, जानिए

Amisha Singh

  • January 7, 2023 11:14 am Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी देश को एक करने निकले हैं। कन्याकुमारी से शुरू हुई भारत जोड़ो यात्रा कई राज्यों से होते हुए दिल्ली, उत्तर प्रदेश से निकलकर हरियाणा पहुंची। यात्रा जम्मू-कश्मीर में समाप्त होगी। राहुल गांधी भले ही खुलकर न बोल रहे हों, लेकिन उनकी यात्रा के कई राजनीतिक उद्देश्य हैं, बता दें कि इस साल देश के नौ राज्यों में चुनाव होने हैं, जिनमें तीन प्रमुख केंद्रीय राज्य, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ शामिल हैं। भारत में कुल 28 राज्य और 3 ऐसे केंद्र शासित प्रदेश है जहां पर विधानसभा हैं। ऐसे में देश के इन 31 विधानसभा ( 28 राज्य और 3 केंद्र शासित प्रदेश ) में कांग्रेस के लिए अपने स्कोर को 3 से बढ़ाने का यह एक शानदार अवसर है और इसका असर कांग्रेस नेता राहुल गांधी और उनकी भारत जोड़ो यात्रा पर कितना पड़ेगा, यह तो वक्त ही बताएगा।

 

75 साल की लोकतांत्रिक सत्ता में कांग्रेस कहाँ?

वैसे तो देश की 75 साल की लोकतांत्रिक सत्ता में कांग्रेस दो तिहाई सत्ता में रही है, लेकिन वर्तमान में कांग्रेस के पास 543 सदस्यों वाली लोकसभा में केवल 53 सांसद हैं, जो बीजेपी लोकसभा के 303 सांसदों से काफी कम है. 2024 में आम चुनाव होंगे और राजनीतिक जानकार ऐसा कहते है कि राहुल और उनकी भारत जोड़ो यात्रा का मुख्य उद्देश्य एक ही है।

 

महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर खुलकर बात करें

कई दशकों तक भारतीय राजनीति को दिशा देने वाली कांग्रेस अब पार्टी में नई जान फूंकने के लिए संघर्ष कर रही है. साथ ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भी एक नई ऊर्जा का संचार करने की जरूरत है। इसी वजह से पार्टी भारत जोड़ो यात्रा से भी कुछ ‘चमत्कार’ की उम्मीद करती है, अपनी यात्रा के दौरान राहुल गांधी देश में महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों की बात करते हैं. इस तरह के सवाल उठाकर कांग्रेस न केवल अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन हासिल करना चाहती है, बल्कि राहुल गांधी को एक जननेता के रूप में भी कायम करना चाहती है.

 

राहुल गांधी से कितना जुड़ पा रहे लाेग

 

राहुल गांधी की इस यात्रा में शामिल होने वाली प्रोफेसर मधुलिका बनर्जी ने कहा कि “राहुल का पूरा अभियान अहिंसक सेना के एक अभियान की तरह था। विभिन्न भाषाई समुदायों और पृष्ठभूमि के लोग इसमें शामिल हो रहे हैं। हमने भी हर समय ऐसी तस्वीरें देखी हैं

विनम्र और तेज छवि

प्रोफेसर मधुलिका बनर्जी का कहना है कि जब वह इस मार्च पर निकलीं तो उन्हें राहुल गांधी बेहद विनम्र और तेज दिमाग वाले व्यक्ति लगे. उन्हें चुनौती देना और उनसे असहमत होना संभव था, जो कई भारतीय नेताओं के साथ संभव नहीं हो पाया है। खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ, क्योंकि वह प्रेस कॉन्फ्रेंस भी नहीं करते हैं। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी की सभाओं में लोगों को चमक दिखाई देती है, जबकि आम लोगों के साथ राहुल गांधी की तस्वीरें उनकी अच्छी राजनीतिक छवि बनाती हैं.

गांधी-नेहरू परिवार का इतिहास

गांधी-नेहरू परिवार से देश के तीन ऐसे प्रधानमंत्री हुए हैं जिनका कुल कार्यकाल लगभग 4 दशक रहा, लेकिन राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस लगातार लोकसभा चुनाव में विधानसभा से हारती रही. राहुल की पिछली पारी फ्लॉप निकलीं। अब देखना होगा कि वह अपनी दूसरी पारी में कितना कामयाब होते हैं.

 

 

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